Jambhsar Media News Digital Desk नई दिल्ली: राजस्थान में गहलोत सरकार दिनों दिन राज्य में शहरों की संख्या बढ़ाती गई। इनमें कई शहरों के बेहतरतीब के लिए कोई डवलपमेंट पॉलिसी दस्तावेज तैयार नहीं किए गए। फिलहाल में प्रदेश में 88 शहरों के डबलपमेंट का सुनियोजित प्लान नदारद है। इनमें विकास के नाम पर अफसर और नेता मन मुताबिक काम कर रहे है।
राजस्थान में पूर्ववर्ती सरकार दिनों दिन राज्य में शहरों की संख्या बढ़ाती गई। इनमें कई शहरों के बेहतरतीब के लिए कोई डवलपमेंट पॉलिसी दस्तावेज तैयार नहीं किए गए। फिलहाल में प्रदेश में शहरों की संख्या 279 तक पहुंच चुकी है। लेकिन 191 शहरों में ही मास्टर प्लान लागू है। जबकि 88 शहरों के डबलपमेंट का सुनियोजित प्लान ही नदारद है। इनमें विकास के नाम पर अफसर और नेता मन मुताबिक काम कर रहे है।
राज्य में भले ही 279 शहर (निकाय) हो गए हों, लेकिन इनमें से राजनीतिक फायदे के मकसद से पूर्ववर्ती सरकार नए निकायों का गठन करती गई, लेकिन इनके मास्टर प्लान अभी नहीं बनाए गए। नतीजा, इनमें बेतरतीब तरीके से योजनाएं, सृजित करने से लेकर मनमाने तरीके से काम हो रहे। जबकि हाईकोर्ट सरकार को आदेश दे चुका है कि हर शहर का मास्टर प्लान बनेगा और तय समय सीमा में लागू कर उसी अनुरूप काम करेंगे। लेकिन अफसर और नेता मास्टर प्लान व जोनल प्लान नहीं होने की आड़ में अपना हित साध रहे हैं। अब 38 शहरों के मास्टर प्लान जल्द बनाने का दावा कर रहे हैं, लेकिन यह भी अभी तक कागजों तक सीमित है।
मास्टर प्लान का ऐसा BS कांग्रेस सरकार में ही नहीं, बल्कि भाजपा सरकार में भी बिगड़ता रहा। दोनों ही सरकार इसकी जिम्मेदार हैं, लेकिन एक्शन अभी तक किसी पर नहीं लिया गया। जिम्मेदारों को ढूंढा तक नहीं गया। मास्टर प्लान नहीं बनने से अफसर और नेताओं के लिए अपने मन मुताबिक काम कराने की गली खुली हुई है।
मास्टर प्लान : शहर के विकास के लिए का पॉलिसी दस्तावेज है। इसमें पूरे शहर का विकास का वृहद प्लान शामिल है। मसलन शहर के किसी इलाके में भू-उपयोग आवासीय संस्थानिक, कॉमर्शियल होगा। रोड नेटवर्क से लेकर परिवहन; मनोरंजन, आवास से जुड़ा खाका खींचा जाता है। इसमें इलाकेवार विकास का प्लान नहीं होता।
जोनल प्लान : भूमि उपयोग के लिए जोनवार विकास का खाका तैयार होता है। शहर की सूरत निखारने के लिए निकाय क्षेत्र को 4 से 5 जोन में बांटा जाता है और हर जोन की अलग से डवलपमेंट योजना बनाई जाती है। इसमें आवास, सार्वजनिक भवन जनसुविधा केंद्र के साथ-साथ सड़क, मनोंरजन केंद्र, पार्क, उद्योग, व्यवसाय, बाजार व स्कूल आदि के लिए जगह चिन्हित की जाती है। इसके अलावा बिजली, पानी, अंदरूनी सड़कों जैसी मूलभूत सुविधाओं से जुड़ी प्लानिंग भी इसी का हिस्सा है।
इसमें बानसूर, लक्ष्मणगढ़, रामगढ़, गोविन्दगढ़, बहादुरपुर (अलवर), बड़ौदा. मेव, पावटा-प्रागपुरा, मनोहरपुरा, नरैना, मंडावरी, मंडावर, गुढ़ागौड़जी, दांता, अजीतगढ़, सरमथुरा, बाड़ी, सपोटरा, सिकरी, उच्चैन, भोपालगढ़, जवाल, सिवाना, मारवाड़ा जंक्शन, रानीवाड़ा, बालेसर सत्ता, अटरू, बामनवास, बौंली, जायल, हमीरगढ़, लालगढ़, जाटान, टिब्बी, खाजूवाला, सिमारी, ऋषभदेव, धरियावद, बासनी शामिल है।