Jambhsar Media Digital Desk : जब बैंक की डूबने की नौबत आ जाती है तो ऐसे में खाताधारकों के जमा पैसों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट के जरिए वापस किया जाता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
बैंकों में तमाम ग्राहकों के सेविंग्स अकाउंट होते हैं, एफडी वगैरह के जरिए उनका तमाम पैसा बैंकों के पास जमा होता है. लेकिन मान लीजिए कि जिस बैंक के पास आपका पैसा जमा है, वो बैंक ही डूब जाए, तो आपकी रकम का क्या होगा? आखिर बैंक क्यों डूबते हैं, कभी सोचा है इस बारे में? चलिए आपको बताते हैं इस बारे में.
जब बैंक के पास उसकी संपत्ति से ज्यादा उसकी देनदारी हो जाती है और निवेशक अपना पैसा निकालने लगते हैं तो बैंक की आर्थिक स्थिति खराब होती चली जाती है. ऐसे में बैंक की स्थिति बिगड़ती जाती है और वो ग्राहकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी नहीं निभा पाता. इस स्थिति में बैंक को दिवालिया घोषित कर दिया जाता है. इसे ही बैंक का डूबना कहा जाता है.
दरअसल बैंक ग्राहकों के पैसों से चलते हैं. बैंक ग्राहकों के जमा पैसों पर उन्हें ब्याज देते हैं और उन पैसों को ऊंची ब्याज दरों के साथ उधार में और बॉन्ड में निवेश कर कमाई करता है. लेकिन जब बैंक पर से ग्राहक का विश्वास डगमागाने लगता है तो वो बैंक से पैसा निकालने लगते हैं. इस स्थिति में बैंक के सामने बैंक रन की स्थिति पैदा हो जाती है, यानी इस समय बैंक को ग्राहकों का पैसा लौटाने के लिए अपने निवेश किए गए प्रतिभूतियों, बॉन्ड को बेचना पड़ जाता है. इससे बैंक में आर्थिक संकट गहराने लगता है और डूबने की नौबत आती है.
अगर कोई बैंक डूब जाता है तो ऐसे में ग्राहकों को डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट के तहत जमा राशि पर इंश्योरेंस कवर मिलता है. बता दें कि पहले बैंक जमा राशि पर डिपॉजिट इंश्योरेंस एक लाख रुपये होता था लेकिन अब इसे बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है, यानी बैंक के डूबने के बाद ग्राहकों को पांच लाख की सुरक्षित राशि वापस कर दी जाएगी. आसान भाषा में कहें तो पांच लाख तक की जमा राशि बैंक में पूरा तरह से सुरक्षित रहेगी और बैंक दिवालिया होने पर भी खाताधारकों को मिल जाएगी.