Staff Reporter,New Delhi: किसानों के लिए “कभी राम रूठ जाता है तो कभी राज” ये कहावत तो आपने सुनी ही होगी. कमोबेश राजस्थान के किसानों के साथ कुछ ऐसा ही हो रहा है. एक तरफ जहाँ किसान आन्दोलन चल रहा है वहीँ दूसरी तरफ फसलों में एक नए रोग ने जन्म ले लिया है. कोनसा रोग फसलों के लिए मुसीबत बनकर आया है? आइए जानते है हमारी इस रिपोर्ट में..
माड़ क्षेत्र में इन दिनों पछेती सरसों की फसल में लगे चेंपा मोयला से जहां किसान चिंतित हैं, वहीं सड़कों पर उड़ते चेंपा रोग से वाहन चालकों की भी मुसीबत बढ़ती जा रही है। वातावरण में उड़ते चैंपा के कारण वाहन चालकों को हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है। माड़ क्षेत्र के ढहरिया, तिमावा, बरदाला, सलावद, बाड़ा, राजपुर, दलपुरा, तालचिड़ा आदि गांवों में सरसों की फसल में इन दोनों फूल गिरने के बाद फलियां आ रही है।
लेकिन बीते एक सप्ताह से आए दिन आसमान में छाए बादलों से सरसों की पछेती फसल में चैंपा रोग का प्रकोप हो गया। इससे सरसों की फलियों में दाना का ग्रोथ कम हो गया। चैंपा रोग के कारण खड़े पौधे सूखने लग गए।
पत्ते मुरझाने के साथ फलियां आपस में चिपक जाती हैं। इससे दाने का विकास नहीं हो पाता और दाना कमजोर रहता है। इससे पैदावार पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। आमतौर पर चैंपा रोग सर्दी के बाद व आसमान में बादल छाए रहने के दौरान चैंपा रोग का प्रकोप बढ़ता है। फलियां में दाने पकने के समय चैंपा रोग की दस्तक शुरू हो जाती है। जो फसल कटने तक जारी रहती है।
सरसों के साथ चैंपा का प्रकोप गोभी, बैंगन, मटर, पालक सहित अन्य सब्जियों में भी रहता है। चैंपा कीट लार छोड़ता है। इससे पौधों की मुलायम टहनी व कोंपलें खराब हो जाती है। इससे फसल में नुकसान होता है।
मौसम में बदलाव मुख्य कारण
मौसम में बदलाव के कारण सरसों की फसल में चैंपा कीट का प्रकोप होता है। आसमान में बादल छाने से यह निरंतर वृद्धि करता है। चैंपा कीट कोमल फलियों, पुष्प, टहनियों में चिपककर रस चूसता है। पौधा पीला पड़ने के साथ खराब हो जाता है।
बिगड़ रहा मौसम, फसल कटाई कार्य जोरों पर
नादौती. मौसम के बार-बार बिगड़ते मिजाज से किसान चिंतित हो रहे हैं। मॉड क्षेत्र के गांवों में वर्तमान में सरसों की फसल पूरी तरह पक कर तैयार खड़ी है। गत करीब एक पखवाडे से सरसों की कटाई जारों पर चल रही है। मौसम विभाग ने बारिश व ओलावृष्टि की चेतावनी जारी कर रखी है। जिससे किसान चिंतित है। किसान गंगापुर सिटी, बामनवास, हिण्डौन, वजीरपुर, भांडारेज आदि स्थानों से मजदूरों को ले जाकर जल्द से जल्द कटाई करवा रहे हैं।
किसानों ने बताया कि कभी भी मौसम खराब हो सकता है। किसानों ने बताया कि वर्तमान में मजदूरी महंगी पड़ रही है। प्रति मजदूर 400 रुपए से अधिक देने पड़ रहे हैं। किसान अपने परिवार सहित सुबह से शाम तक कटाई में जुटे रहते हैं। अधिकतर जगह सरसों की कटाई चल रही है। अगले माह से होली के आसपास गेहूं की कटाई भी शुरू हो जाएगी।
वाहन चालक भी परेशान
सरसों की फसल में मंडराता चैंपा मच्छर तेज हवा के साथ आसमान में उड़ता हुआ आम बस्ती व सड़कों पर आ जाता है। इसके चलते दो पहिया वाहन चालक अधिक परेशान रहते हैं। सड़क पर उड़ता चैंपा वाहन चालकों की आंखों में घुस जाता है। इससे आंखों में तेज जलन होती है। कई बार वाहन चालक अनियंत्रित हो जाता है। ऐसे में दुर्घटना की संभावना रहती है।
सहायक कृषि अधिकारी कैलाश चंद्रवाल का कहना है कि माड़ क्षेत्र में सरसों की पछेती फसल में चैंपा कीट का प्रकोप देखा जा रहा है। किसान कृषि अधिकारियों से सलाह लेकर कीटनाशक दवाइयां का छिड़काव करें। माड़ क्षेत्र में चल रहा है सरसों की कटाई का दौरजिले के माड़ क्षेत्र में पानी की कमी के चलते अधिकांश किसान सरसों की फसल करते हैं। अगेती सरसों की फसल का इस समय कटाई का दौर चल रहा है। पीछेती सरसों की फसल ने फूल फेंकने के साथ फलिया बनना शुरू हुई है। लेकिन चैंपा कीट के कारण फसल पर विपरीत प्रभाव पड़ रहा है।
कुड़गांव क्षेत्र में कई जगह सरसों की कटाई शुरू हो चुकी है। जिससे चेपा कीट का प्रकोप चल रहा है। सरसों की कटाई के समय पौधों लाखों की संख्या में चेपा कीट उड़ता है। जो कि आमजन के कपड़ों आदि पर चिपक जाता है। वाहन चालकों व राहगीरों की आंखों में घुसने से उनका परेशानी होती है। चेपा कीट से वाहन चालकों को दिक्कत आ रही है। उनको हेलमेट लगाकर, चश्मा पहनकर और मुंह पर कपड़ा बांधकर निकलना पड़ रहा है।
स्थानीय कस्बे सहित आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में बदलते मौसम एवं फसलों की कटाई के चलते इन दिनों मच्छरों का प्रकोप फैल रहा है। वाहन चालक अपनी आंखों को बचाते हुए नजर आते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में बाइक से गुजरने वालों को चेहरा ढकना मजबूरी हो गया है खासकर पीले कपड़े या पीली वस्तु में यह मच्छर अधिक सक्रिय रहते हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि करीब एक माह तक चेंपा मच्छर का प्रकोप रहेगा। स्थानीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. कंवरलाल मीणा ने बताया कि वाहन चलाते समय चश्मा का उपयोग करें। आंखों में मच्छर या चेंपा घुस जाने के बाद आंखों को मसलें नहीं बल्कि ठंडे पानी, रुमाल से आंख को धोएं। मच्छर निकालने के बाद डॉक्टर से परामर्श लें और आईड्रॉप डालें। सहायक कृषि अधिकारी कैलाशचंद ने बताया कि मोइला या चेंपा की रोकथाम के लिए बाजार में कीटनाशक दवा उपलब्ध है। जिनका किसान उपयोग कर सकते हैं।