बच्चों का भत्ता काट दिया भजनलाल सरकार ने: जानिए किसके लिए है झटका

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बच्चों का भत्ता काट दिया भजनलाल सरकार ने: राजनीति में बदलाव उम्मीदों के साथ आता है। नई सरकारें वादे करती हैं, योजनाएं बनाती हैं और कभी-कभी पुराने फैसलों की समीक्षा करते हुए नई राह भी चुनती हैं। लेकिन जब ये नई राहें उन बच्चों से गुज़रती हैं जो पहले से ही संघर्षों से घिरे हैं, तब सवाल सिर्फ योजनाओं पर नहीं, संवेदनशीलता पर भी उठते हैं।

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राजस्थान की भजनलाल सरकार ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों (children with special needs) के लिए दी जाने वाली आर्थिक सहायता में कटौती कर दी है। जो भत्ता पहले 500 रुपये महीना हुआ करता था, अब वह सिर्फ 300 रुपये रह गया है। इसी तरह अन्य सहायता राशियों में भी कमी की गई है। सरकार कह रही है कि यह फैसला शैक्षणिक सुधार और समावेशन (inclusive education)” के तहत लिया गया है, लेकिन ज़मीन पर असर कुछ और ही दिख रहा है।


राशि में कटौती: मदद कम, उम्मीद भी कम?

नई योजना के अनुसार अब ये सहायता राशि इस प्रकार होगी:

सहायता का नामपहले कितनी थीअब कितनी मिलेगी
परिवहन भत्ता₹500/माह₹300/माह
एस्कॉर्ट भत्ता₹400/माह₹300/माह
रीडर भत्ता₹250/माह₹200/माह
स्टाइपेंड भत्ता₹200/माह₹200/माह (कोई बदलाव नहीं)

भत्तों का भुगतान साल में 10 महीनों तक किया जाएगा। इसका मतलब है कि एक छात्र जो पहले सालाना ₹5000 तक सहायता पाता था, अब उसे लगभग ₹2000 तक की कम राशि मिलेगी।


सरकार का पक्ष:

राज्य सरकार और शिक्षा विभाग का तर्क है कि यह फैसला संसाधनों के पुनर्वितरण (reallocation of resources)” के तहत लिया गया है। समग्र शिक्षा अभियान (Samagra Shiksha Abhiyan) के अंतर्गत यह संशोधित योजना पूरे राज्य के सरकारी स्कूलों (कक्षा 1 से 12) में लागू होगी। विभाग का कहना है कि इससे बच्चों को बेहतर शिक्षण सामग्री, सहायक उपकरण (assistive devices), और शैक्षणिक वातावरण मिलेगा।

लेकिन क्या यह तर्क उन माता-पिता की चिंता का जवाब दे सकता है जो पहले ही रोज़मर्रा की ज़रूरतों से जूझ रहे हैं?


“अब तो बस नाम के लिए ही बचा है ये भत्ता:

सीकर जिले की कमला देवी, जिनकी बेटी दृष्टिबाधित (visually impaired) है, कहती हैं —

पहले ₹500 में कम से कम ऑटो का किराया निकल आता था। अब ₹300 में क्या आएगा? हम तो सोचते थे कि नई सरकार कुछ बढ़ाएगी, उल्टा घटा दिया।”

कमला जैसी कई माताओं के लिए यह भत्ता केवल रकम नहीं, बल्कि एक भरोसा था कि सरकार उनके साथ खड़ी है।


जिन्हें सबसे ज़्यादा ज़रूरत है, उन्हीं को सबसे कम?

विशेष आवश्यकता वाले बच्चे अक्सर सामान्य स्कूलों में पढ़ते हुए कई तरह की चुनौतियों का सामना करते हैं — शारीरिक पहुँच (physical accessibility), संवाद की कठिनाई (communication barriers), और सामाजिक अस्वीकृति (social exclusion)। ऐसे में आर्थिक सहायता एक छोटी लेकिन महत्वपूर्ण ढाल होती है।

एक विशेष शिक्षक नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं —

इन बच्चों के लिए हर छोटा सहयोग भी बड़ा फर्क ला सकता है। लेकिन अगर सरकार खुद पीछे हटने लगे, तो बाकी समाज से हम क्या उम्मीद करें?”


भत्ते के लिए प्रक्रिया क्या है?

  • ये भत्ता केवल सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले मान्यता प्राप्त विशेष आवश्यकता वाले छात्रों को मिलेगा।
  • आवेदन के साथ चिकित्सकीय प्रमाण-पत्र (medical certificate), छात्र का स्कूल प्रमाण-पत्र और ज़रूरी दस्तावेज जमा करने होंगे।
  • स्कूल स्तर पर गठित समिति हर आवेदन की जांच करेगी और फिर भत्ता स्वीकृत होगा।
  • हर भत्ते की अलग शर्तें और पात्रता तय की गई है, जिससे प्रक्रिया आम अभिभावक के लिए और अधिक जटिल बन गई है।

सरकार की मंशा शिक्षा में सुधार की हो सकती है, लेकिन इस सुधार की राह अगर पहले से ही वंचित और संघर्षशील बच्चों पर भारी पड़ने लगे, तो क्या इसे सुधार कहना सही होगा?

भजनलाल सरकार ने सत्ता में आने के बाद “जनसुनवाई” और “समावेशी विकास” की बातें की थीं। लेकिन ये फैसले उन बातों से मेल नहीं खाते।

₹200 की कटौती सुनने में मामूली लग सकती है, लेकिन जब वह एक बच्चे की रोज़ की ज़रूरत, उसका स्कूल पहुंचना, उसका सहायक या उसका पाठ पढ़ने वाला प्रभावित करती है — तो बात बहुत बड़ी हो जाती है।

सरकारों को यह नहीं भूलना चाहिए कि विशेष बच्चे ‘दया’ नहीं, सम्मान और बराबरी के हक़दार हैं।
अगर उनके साथ किया गया सहयोग भी “बजट कटौती” की भेंट चढ़ेगा, तो यह केवल योजना की नहीं, सोच की हार होगी।

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Beerma Ram is the owner of Jambhsar Media, who has been working in Media field since 2018, covering news of religious, political, social fields, connecting with rural life, living with backward people, educating illiterate people. Creating awareness, serving the poor and serving wildlife through my organization Jambhsar Hitkarini Snsthaan, saving rare animals has always been my goal.

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