Jambhsar Media Desk, New Delhi : साल का पहला चंद्र ग्रहण इस बार 25 मार्च होली के दिन लगने जा रहा है. चंद्र ग्रहण से कुछ घंटे पहले सूतक काल लग जाता है, जिस दौरान ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए तुलसी की पत्तियों को खाने की चीजों में रख जाता है. लेकिन आप तुलसी की पत्तियों की जगह इस बार दूर्वा का इस्तेमाल भी कर सकते हैं.
ज्योतिष शास्त्र में ग्रहण का विशेष महत्व बताया गया है. इस दौरान ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए कई तरह के उपायों से बचा जा सकता है. साल में लगभग 4 ग्रह लगते हैं, जिनमें 2 सूर्य ग्रहण और 2 चंद्र ग्रहण. साल का पहला चंद्र ग्रहण 25 मार्च फाल्गुन पूर्णिमा के दिन लगने जा रहा है. इसके 15 दिन बात ही चैत्र अमावस्या पर साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा.
चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक काल शुरू हो जाता है. इस दौरान ज्योतिष शास्त्र में कई नियमों का पालन करने की परंपरा है, ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभावों से बचा जा सके. इन्हीं में से एक कार्य जो अक्सर सभी घरों में किया जाता है, वे है खाने-पीने के सामना में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल, ताकि ग्रहण के अशुभ प्रभाव इन चीजों पर न पड़ सकें. लेकिन क्या आप जानते हैं तुलसी के अलावा भी एक पत्ती है, जिसका इस्तेमाल ग्रहण के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए किया जा सकता है. चलिए जानते हैं इस बारे में हम लोग.
ज्योतिष शास्त्र में दूर्वा को बहुत ही शुभ माना गया है. ये एक प्रकार की घास होती है. हिंदू धर्म में पूजा- पाठ और शुभ कार्यों में दूर्वा का इस्तेमाल किया जाता है. शास्त्रों में इसे बहुत ही शुभ और महत्वपूर्ण माना गया है.
तिल का करें प्रयोग
ग्रहण के दौरान अशुभ शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं, इसलिए इसके दुष्प्रभावों से बचने के लिए ग्रहण के दौरान दान आदि करना भी अच्छा माना गया है. ग्रहण के दौरान तिल का दान करने से राहु-केतु शांत होते हैं. और जातकों को अनावश्यक कष्टों से मुक्ति मिलती है.
हिंदू धर्म में गंगाजल को बहुत ही पवित्र माना गया है. इसलिए ग्रहण के दौरान गंगाजल का प्रयोग किया जा सकता है. ग्रहण के बाद गंगाजल डालकर स्नान करने से दुष्प्रभाव दूर होते हैं. शारीरिक और मानसिक शुद्धि के लिए ग्रहण के बाद स्नान करना जरूरी बताया गया है. साथ ही, गंगाजल से घर को भी शुद्ध किया जा सकता है.