छांगुर बाबा का ‘महल’ मिट्टी मे: बलरामपुर, उत्तर प्रदेश – मंगलवार की सुबह बलरामपुर के उतरौला कस्बे में एक अलग ही हलचल थी। पुलिस और प्रशासन की टीम, मीडिया के कैमरों की चमक और सैकड़ों लोगों की भीड़—सबकी नजरें एक ही जगह टिकी थीं: जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की आलीशान कोठी पर, जिसे प्रशासन ने बुलडोजर चलवाकर जमींदोज़ कर दिया। कभी सफेद रंग की इस कोठी को लोग इलाके का ‘वाइट हाउस’ कहते थे, आज वही कोठी धूल में मिल गई।
एक दशक में ‘मिट्टी’ से महल तक
छांगुर बाबा की कहानी किसी फिल्मी पटकथा से कम नहीं। 2015 तक वह साइकिल पर गांव-गांव घूमकर अंगूठी और नग बेचता था। लोग उसे एक मामूली फेरीवाला मानते थे। लेकिन वक्त ने करवट ली—पहले मुंबई, फिर सऊदी अरब की यात्राएं, और लौटने के बाद मुंबई में नेटवर्किंग। धीरे-धीरे उसके संपर्क बढ़े, रसूखदार लोगों से मेलजोल हुआ, और फिर बलरामपुर के चंदौलिया बाबा की मजार के पास अपना आश्रम बना लिया।
यहीं से शुरू हुआ उसका असली खेल—धार्मिक पहचान बदलने (religious conversion) का संगठित धंधा। जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में धर्मांतरण का रैकेट फैला रखा था। बताया जा रहा है कि उसने विदेशी फंडिंग (funding from abroad) का भी जमकर इस्तेमाल किया। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, वह करीब 50 बार इस्लामिक देशों की यात्रा कर चुका है।
3 करोड़ की कोठी, 15 KW सोलर कनेक्शन
छांगुर बाबा ने अपने लिए ढाई बीघे ज़मीन पर सफेद रंग की कोठी बनवाई थी, जिसकी कीमत करीब 3 करोड़ रुपये आंकी गई है। कोठी में 15 किलोवाट के सोलर पैनल लगे थे—यानी बिजली की चिंता नहीं, हर कोना रोशन। अंदर की सजावट और सुविधाएं देखकर अधिकारी भी हैरान रह गए। आलीशान फर्श, महंगे पर्दे, विदेशी फर्नीचर—सब कुछ किसी बड़े होटल जैसा।
स्थानीय लोग बताते हैं, “हमने कभी सोचा भी नहीं था कि गांव में इतनी बड़ी कोठी बन सकती है। छांगुर बाबा का रुतबा इतना था कि बड़े-बड़े अफसर भी उसके दरवाजे पर आते थे।”
बुलडोजर की कार्रवाई:
जब प्रशासन की टीम मंगलवार को कोठी गिराने पहुंची, तो माहौल तनावपूर्ण था। पुलिस बल तैनात था, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो। बुलडोजर की पहली चोट के साथ ही छांगुर बाबा का ‘महल’ ढहने लगा। यह कार्रवाई सिर्फ एक अवैध निर्माण गिराने की नहीं थी, बल्कि यह संदेश भी था कि कानून से बड़ा कोई नहीं।
प्रशासन के एक अधिकारी ने कहा, “यह संपत्ति अवैध गतिविधियों से बनाई गई थी। ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जरूरी है, ताकि समाज में गलत संदेश न जाए।”
100 करोड़ की संपत्ति, सामाजिक सवाल
जांच में सामने आया कि छांगुर बाबा ने अवैध धर्मांतरण के नेटवर्क से करीब 100 करोड़ रुपये की संपत्ति बना ली थी। उसके नाम पर और भी प्रॉपर्टी, बैंक खाते, और गाड़ियां मिली हैं। पुलिस अब इन सभी संपत्तियों की जांच कर रही है।
यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की कहानी नहीं, बल्कि उस सामाजिक ताने-बाने की भी पोल खोलता है, जिसमें लालच, अंधविश्वास और अपराध का गठजोड़ पनपता है। गांव-गांव में घूमकर अंगूठी बेचने वाला व्यक्ति कैसे करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया—यह सवाल समाज के लिए भी चेतावनी है।
छांगुर बाबा पर आरोप है कि उसने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान में संगठित तरीके से धर्मांतरण का रैकेट चलाया। वह खुद को ‘पीर बाबा’ बताकर सैकड़ों परिवारों को प्रभावित करता था। जांच में विदेशी फंडिंग के सबूत भी मिले हैं, जिससे शक और गहरा गया है।
स्थानीय प्रशासन के अनुसार, “धर्मांतरण के नाम पर लोगों को बहकाना गंभीर अपराध है। हम इस नेटवर्क के हर सदस्य को चिन्हित कर रहे हैं।”
समाज में हलचल, कानून का डर
इस कार्रवाई के बाद इलाके में चर्चा है—क्या अब ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई होगी? क्या प्रशासन की यह कार्रवाई सिर्फ एक दिखावा है या वाकई अपराध की जड़ें काटने की कोशिश? गांव के बुजुर्ग कहते हैं, “पहले लोग डरते थे, अब लगता है कि कानून का डंडा सब पर बराबर चलेगा।”
मिट्टी में मिल गया ‘जलवा’
छांगुर बाबा की कोठी अब सिर्फ मलबा है, लेकिन उसकी कहानी समाज के लिए आईना है। यह घटना बताती है कि गलत रास्ते से कमाया गया धन, चाहे जितना भी हो, एक दिन मिट्टी में मिल ही जाता है। प्रशासन की कार्रवाई ने यह भी साबित किया कि कानून के आगे कोई भी बड़ा नहीं।
आज बलरामपुर में लोग यही कहते सुने गए—“जिसने मिट्टी से शुरुआत की, उसका जलवा आखिरकार मिट्टी में ही मिल गया।”















