Jambhsar Media Desk, New Delhi : बैंकों की ओर से तय किए गए मानकों को देखें तो किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 300 से 900 पॉइंट्स के बीच होता है और 700 से ऊपर को अच्छा (Best Credit Score) माना जाता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
लोन (Loan) या कर्ज… ऐसा नाम जिससे हर कोई बचना चाहता है, लेकिन आज के समय में ज्यादातर लोगों को कभी न कभी इसकी की जरूरत पड़ सकती है. फिर लोन नया घर लेने के लिए हो या फिर बच्चे की पढ़ाई या बेटी की शादी के लिए, कर्ज लेने के लिए लोग बैंक से संपर्क करते हैं. मगर जरूरी नहीं कि सभी को लोन मिल जाए, क्योंकि इस प्रक्रिया में सिबिल स्कोर (Cibil Score) या क्रेडिट स्कोर (Credit Score) बहुत अहम रोल निभाता है. ये अच्छा होता है, तो फटाफट बैंक लोन अप्रूव कर देता है और इसके खराब होने पर कर्ज मिलना मुश्किल हो जाता है. अगर आपको भी लोन देने में बैंक आनाकानी कर रहा है, तो एक बार अपने क्रेडिट स्कोर को जरूर चेक कर लें.
क्रेडिट स्कोर की लोन में अहमियत को समझना बेहद जरूरी है. आपका सिबिल जितना ज्यादा होगा, उतनी ही आसानी से बैंक आपको कर्ज (Bank Loan) दे देगा. दरअसल, इस आंकड़े के जरिए बैंक ये पता लगाते हैं कि आप लिया गया कर्ज चुकाने में सक्षम हैं और इसे लौटाने में लेट-लतीफी नहीं करेंगे. यानी यह आपको कर्ज देने के लिए बैंकों को भरोसा दिलाने वाला फैक्टर होता है. आमतौर पर बैंकों की ओर से तय किए गए मानकों को देखें तो किसी भी व्यक्ति का क्रेडिट स्कोर 300 से 900 पॉइंट्स के बीच होता है और 700 से ऊपर को अच्छा (Best Credit Score) माना जाता है.
अगर आपका क्रेडिट स्कोर खराब है या 700 के बहुत नीचे है, तो फिर इसे दुरुस्त करना जरूरी है. इसके कुछ टिप्स हैं, जिन्हें अपनाकर आप आसानी से लोन हासिल कर सकते हैं और इसमें पहला है समय पर अपनी EMI या बकाये का भुगतान करना. अगर आपके पहले से कोई लोन (Loan), जैसे होम लोन (Home Loan), पर्सनल लोन (Personal Loan) या ऑटो लोन (Auto Loan) ले रखा है. चाहे वो क्रेडिट कार्ड के जरिए ही क्यों न लिया गया हो. इसका भुगतान पर करना आपके सिबिल स्कोर (Cibil Score) को बिगड़ने नहीं देगा. इसलिए अपने सिबिल को दुरुस्त रखने के लिए सबसे अच्छा तरीका ये है कि लोन की ईएमआई का पेमेंट (EMI Payment) लेट न करें और तय समय पर इसे भर दें.
क्रेडिट कार्ड (Credit Card) का क्रेज खासा बढ़ा है और लोगों के लिए अपनी जरूरतें पूरी करने का बड़ा साधन बनता जा रहा है. हालांकि, इसके साइडइफेक्ट भी बहुत हैं. Credit Score के मुद्दे पर इसकी बात करें तो आपको अपनी क्रेडिट लिमिट (Credit Limit) का इस्तेमाल बेहद सावधानी से करना चाहिए. बैंक द्वारा दी गई क्रेडिट लिमिट का पूरा उपयोग न करें, बल्कि बहुत बड़ी जरूरत न हो तो इस लिमिट के 30-40 फीसदी का इस्तेमाल करें.
एक साथ कई तरह से कर्ज लेना भी आपके लिए नुकसानदेय साबित हो सकता है और इसका असर आपके क्रेडिट स्कोर पर सीधे तौर पर पड़ता है. अक्सर देखा जाता है कि लोग एक साथ कई Loan ले लेते हैं और फिर उनकी पेमेंट में उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन ऐसा करना आपकी वित्तीय सेहत (Financial Health) की हालत पतली कर सकता है. ऐसे में कोशिश करें कि अगर कोई नया लोन (New Loan) लेना चाहते हैं, तो फिर पहले पुराने सभी कर्ज चुकाने के बाद अप्लाई करें.
सबसे अहम बात ये है कि अपनी क्रेडिट रेटिंग (Credit Rating) सुधारने के लिए आप किसी Bank या वित्तीय संस्थान से उतना ही कर्ज लें, जितना आसानी से चुका पाएं. क्योंकि ज्यादा कर्ज लेने पर ईएमआई (EMI) अधिक होगी और अगर आप इसके भुगतान में कोई कोताही बरतते हैं, तो फिर इसका सीधा असर आपके सिबिल स्कोर पर होगा. सिबिल स्कोर खराब होगा तो नए लोन में दिक्कत पेश आएगी. इसके अलावा नियमित रूप से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की निगरानी भी जरूरी है, इससे आपको किसी भी तरह की कमी की पहचान करने में मदद मिल सकती है, जिससे आप सही समय पर उपयुक्त सुधार कर सकते हैं.