Jambhsar Media Digital Desk: आरबीआई क्रेडिट कार्ड के द्वारा होने वाले पेमेंट को लेकर काफी बड़ा फैसला ले सकता है। वहीं बताया जा रहा है कि जल्द ही कार्ड से मकान या दुकान का किराया चुराने, सोसीइटी शुल्क, ट्यूशन फीस और वेंडर शुल्क चुकाने जैसे भुगतान का ऑप्शन क्लोज किया जा सकता है।
देश की सबसे बड़ी बैंक RBI ने इस बात पर आपत्ति जताई है और बैंक का मानना है कि क्रेडिट कार्ड के ग्राहकों के द्वारा कारोबारी को बिजनेस पेमेंट के लिए बनाया गया है, न कि व्यक्तिगत जरिए से लेन-देन के लिए।
आरबीआई का साफ कहना है कि ग्राहक और कारोबारी से इतर लेनदेन होता है तो पैसे प्राप्त करने वाले बिजनेस खाता ओपन करना होगा। दोनों ही नियमों और मानकों में काफी फर्क है इस लिहाज से इसका पालन करना काफी जरुरी होता है।
बीते कुछ सालों में लोग इस प्रकार के पेमेंट के लिए क्रेडिट कार्ड का ज्यादा उपयोग करने लगे हैं। RBI के मुताबिक बीती फरवरी में क्रेडिट कार्ड से करीब 1.5 लाख रुपये का पेमेंट किया गया है। सालाना आधार में इसमें 26 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। इस पेमेंट में एक बड़ा भाग किराए के पेमेंट ट्यूशन फीस और सोसाइटी शुल्क से जुड़ा है।
बीते कुछ सालों में कई ऐसी कंपनियां हैं जो कि क्रेडिट कार्ड के द्वारा किराए का पेमेंट करने का ऑप्शन देती है। इसके लिए क्रेडिट कार्ड धारक का स्पेशल खाता ओपन किया जाता है। कार्ड से इसमें रकम डाली जाती है और फिर मकान मालिक के बैंक खाते में भेज दी जाती है। इस सुविधा के लिए ये कंपनियां एक से तीन फीसी का शुल्क वसूलती है।
इससे क्रेडिट कार्ड धारकों को काफी सारे लाभ होते हैं जैसे कि नकज न होते हुए भी इस प्रकार पेमेंट पर 50 दिन का मौका मिल जाता है। कई सारे क्रेडिट कार्ड कंपनियां इस पर कैशबैक और रिवॉर्ड अंक भी देती है। कुछ कंपनियां खर्च की लिमिट के हिसाब से सालाना शुल्क भी माफ कर देती है।
RBI के हरकत में आने के बाद बैंक सचेत हो गए हैं और उनको इस प्रकार के पेमेंट को रोकने का प्रयास शुरु हो गया है। कई बैंकों ने तो किराया पेमेंट पर रिवॉर्ड अंक देना क्लोज कर दिया है। कुछ बैंकों ने सालाना शुल्क माफ करने के लिए खर्च की लिमिट से किराया या फिर ट्यूशन फीस के पेमेंट वाले ऑप्शन को बाहर ही कर दिया है।