फर्जीवाड़े का ‘फैमिली प्लानिंग: राजस्थान की धरती ने एक से एक वीर पैदा किए हैं, लेकिन इस बार जालोर से जो कहानी सामने आई है, उसने ईमानदारी और मेहनत की नींव पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सरकारी नौकरी की दौड़ में अब सिर्फ़ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि फर्जीवाड़े का ‘फैमिली प्लानिंग’ भी देखने को मिल रहा है।
SOG (Special Operations Group) की जांच में सामने आया यह मामला सिर्फ एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि पूरे परिवार की मिलीभगत का चौंकाने वाला उदाहरण है।
शुरुआत एक डमी कैंडिडेट से हुई…
जयपुर स्थित SOG टीम ने हाल ही में हरदाना राम बिश्नोई नामक व्यक्ति को गिरफ्तार किया, जो सांचौर के जैलातरा गांव का निवासी है। इस बार उस पर आरोप है कि उसने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती परीक्षा 2022 में अपने गांव के ही दिनेश कुमार के स्थान पर परीक्षा दी थी।
एडीजी वी.के. सिंह के अनुसार, 23 जनवरी 2023 को आयोजित परीक्षा में हरदाना राम ने जनरल नॉलेज और साइकोलॉजी (मनोविज्ञान) विषय की दोनों परीक्षाएं दीं। वह दिनेश की जगह बैठा था — यानी एक “डमी कैंडिडेट” के तौर पर।
यह वही हरदाना राम है, जो खुद पहले PTI (फिजिकल टीचर) की नौकरी भी फर्जी तरीके से हासिल कर चुका था, और पहले भी SOG की गिरफ्त में आ चुका है।
भाभी बनी PTI
जांच में एक और सनसनीखेज पहलू सामने आया — हरदाना राम की भाभी, विमला बिश्नोई भी सरकारी नौकरी में घुसपैठ कर चुकी है, और वह भी धोखाधड़ी के ज़रिए। बताया गया है कि विमला के नाम से PTI की परीक्षा किसी और ने दी थी, और यह ‘मैनेजमेंट’ भी हरदाना राम ने ही किया था।
SOG ने विमला बिश्नोई को भी गिरफ्तार कर लिया है। वह सरकारी स्कूल में शारीरिक शिक्षक (PTI) पद पर कार्यरत थी।
महिला कांस्टेबल बहन — संगीता भी शामिल, लेकिन अब फरार
जैसे-जैसे SOG की जांच गहराई में गई, सामने आया कि यह घोटाला महज देवर-भाभी तक सीमित नहीं है।
हरदाना राम की बहन संगीता बिश्नोई, जो राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल है, इस पूरे रैकेट में शामिल रही है।
आरोप है कि विमला की PTI परीक्षा संगीता ने खुद बैठकर दी थी, यानी वह खुद डमी कैंडिडेट बनी। यही नहीं, अब ये भी सामने आ रहा है कि संगीता ने एक अन्य महिला की जगह वरिष्ठ अध्यापक भर्ती में भी परीक्षा दी थी।
जैसे ही हरदाना राम की गिरफ्तारी हुई, संगीता फरार हो गई। उस समय वह किशनगढ़ PTS (Police Training School) में ट्रेनिंग ले रही थी। पुलिस अब उसकी तलाश कर रही है।
एक परिवार, एक योजना — और सिस्टम की कमजोरी
यह मामला केवल एक परीक्षा या एक भर्ती की बात नहीं है। यह दिखाता है कि कैसे एक परिवार ने मिलकर पूरे सिस्टम को छलने की योजना बनाई।
यह न सिर्फ परीक्षा प्रणाली की चूक है, बल्कि उन हजारों मेहनती युवाओं के साथ अन्याय भी है, जो सालों तक पढ़ाई करते हैं, कोचिंग में पैसे खर्च करते हैं, और फिर भी रिजल्ट का इंतजार करते रहते हैं।
जब एक बहन पुलिस में है, एक भाभी टीचर है, और देवर सबके लिए नकली रास्ते बना रहा है — तो यह सवाल उठता है कि हमारा चयन तंत्र (selection process) कितना सुरक्षित है?
SOG की जांच जारी — और कई परतें खुलनी बाकी हैं
फिलहाल SOG ने हरदाना राम और विमला बिश्नोई को हिरासत में ले लिया है, और संगीता की तलाश जारी है। साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि इस परिवार ने कितने और लोगों के लिए फर्जी परीक्षाएं दी हैं।
संभावना है कि यह कोई एकल मामला नहीं, बल्कि एक संगठित फर्जीवाड़ा गिरोह (organized scam) का हिस्सा हो सकता है।
सरकारी नौकरियों की परीक्षाएं युवाओं की आशाओं की सबसे बड़ी कसौटी होती हैं। लेकिन जब कोई उन्हें पैसे, पहचान या रिश्तों के सहारे पार कर लेता है, तो उसका असर सिर्फ एक नौकरी तक सीमित नहीं रहता — वह पूरे सिस्टम को खोखला कर देता है।
आज जरूरत है कि ऐसे मामलों में न सिर्फ कार्रवाई हो, बल्कि सख्त उदाहरण भी बने — ताकि जो मेहनत से आगे बढ़ना चाहते हैं, उनकी मेहनत को कोई ‘डमी’ या ‘जुगाड़’ कुचल न सके।















