भारत सरकार गरीब-गुरबों और बंदुआ जेसे मजदूरी करने वालों , हाशिये पर रहने वाले लोगों को समाज की मुख्य धारा से जोड़ने के लिए कई कुछ कल्याणकारी योजनाएं चला रही है| आदिवासियों और अनुसूचित जाति समुदाय से आने वालों लोगों में उद्यमिता का विकास करने को लेकर भी योजनाएं चलाई जा रही हैं. हालांकि इसका धरातल पर असर बहुत धीमी गति से देखने को मिलता है गरीबी और भिक्षावर्ती से जुड़े लोगों का उत्थान करने के लिए मोदी सरकार अब एक और महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रही है। सरकार का टारगेट है की भिक्षावृत्ति को जड़ से समाप्त करने और भीख मांगने वालों के जीवन को संवारने के लिए ऐसा कदम उठाया जाए जिससे भिक्षावर्ती पर अंकुस लगाया भी जाए अब इसके लिए खास अभियान चलाया जा रहा है. इसके तहत भीख मांगने वाले स्त्री-पुरुषों की पहचान कर चरणबद्ध तरीके से उनको समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाएगा. इस योजना का मुख्य मकसद चिह्नित किए गए शहरों मे वर्ष 2026 तक सम्पूर्ण रूप से भिखारी मुक्त करना है। हाल ही मे भारत की केंद्र सरकार ने मुख्य रूप से ऐसे 30 शहरों को चिह्नित किया है, जो एक पायलेट प्रोजेकट के रूप मे काम करेगा 30 ऐसे सिटी जिन्हें भिखारी मुक्त कराना है. इन शहरों में तिरुअनंतपुरम से लेकर त्रयंबकेश्वर और अयोध्या से गुवाहाटी जैसे नगर शामिल हैं
केसे करेगा ये प्रोजेकट काम
केंद्र सरकार ने चिह्नित 30 शहरों को वर्ष 2026 तक भिक्षा मुक्त करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय भिक्षावृत्ति के लिहाज से हॉटस्पॉट क्षेत्रों की पहचान करने के लिए संबंधित जिला एवं नगर निकायों के साथ मिलकर काम करेगा. चयनित शहरों में जिन जगहों पर भिखारी ज्यादा सक्रिय हैं, पहले उन स्थानों की पहचान की जाएगी. इसके बाद भिखारियों को चिह्नित किया जाएगा और उनको समाज के मुख्यधारा में लाने को लेकर अभियान चलाया जाएगा. ऐसे लोगों को स्किल डेवलपमेंट स्कीम से भी जोड़ा जाएगा, ताकि वे भविष्य में रोजी-रोटी के लिए भिक्षावृत्ति का दोबारा से न अपनाएं. जब किसी के पास रोजी रोटी हो जाएगी और उनको चिन्हित करके सरकार उनका डाटा अपने पास रखेगी अगर कोई भिकारी मुख्यधारा मे नहीं आना चाहेगा अगर ऐसा पाया गया तो उनके लिए कुछ अलग प्लान किया जा सकता है
30 शहरों को भारत सरकार ने भिकारी मुक्त बनाने का प्लान बनाया है वो इस प्रकार है
धार्मिक स्थल :- आयोध्या , ओंकारेश्वर , कांगड़ा , सोमनाथ , उज्जेन, बोधगया , पावागढ़ , मंदूर , गुहाटी, त्यबकेश्वर जेसे कुल 10 धार्मिक स्थानों , 10 ही ऐतिहासिक स्थान :- कटक, उदयपुर, इंदोर , वारंगल , तेजपुर, मेसूर, कोझिकोड, अमृतसर , पंचकुला , शिमला , और 10 ही पर्यटन की महेत्व वाले तिरुवेन्द्रपुरम , विजयवाड़ा , जेसलमेर , कुशीनगर , सांची , केवड़िया , श्रीनगर नामसाई , खजुराहों, पुनडुचेरी इन शहरों में भिखारियों की पहचान करने के लिए व्यापक पैमाने पर सर्वेक्षण कराया जाएगा. साथ ही भिक्षावृत्ति में शामिल महिलाओं, पुरुषों और बच्चों के पुनर्वास के लिए व्यवस्थाएं की जाएंगे, ताकि वे भिक्षावृत्ति छोड़कर सामान्य जीवन जी सकें. बता दें कि पहले चरण में ऐसे शहरों की पहचान की गई है, जो धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध हैं. दरअसल, धर्मस्थानों पर बड़ी तादाद में भिक्षावृत्ति में शामिल लोग रहते हैं. ऐसे लोगों की पहचान कर उनका पुनर्वास कराया जाएगा. 2026 तक भिक्षावर्ती से मुकती के लिए सामाजिक और न्याय अधिकारिता मंत्रालय की पहल रहेगी |
डिजिटल तरीके से भिक्षा मुक्त भारत बनाने का ऐसे रहेगा प्रयास
भिक्षा मुक्त भारत अभियान के तहत प्रारंभिक चरण में 30 ऐसे शहरों की पहचान की गई है जो सांस्कृतिक, ऐतिहासिक और पर्यटन के लिहाज से महत्वपूर्ण हैं. इस प्रोजेकत मे शुरुआत के तोर पर SMILE (स्माइल) योजना के तहत चयनित शहरों में विशेष अभियान चलाया जाएगा. बताया जा रहा है की इसके लिय मंत्रालय जल्द पोर्टल और मोबाइल एप्प लॉन्च करेगा. 15 फरवरी तक यह काम पूरा कर लेने का लक्ष्य रखा गया है. डिजिटल तरीके से पोर्टल और एप्प के जरिये भिक्षावृत्ति में शामिल लोगों के बारे में रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी. सरकार द्वारा चिह्नित किए गए 30 मुख्य शहरों में से 25 की ओर से एक्शन प्लान सौंपे जा चुके हैं. जो इस प्रोजेकट मे सरकार के प्लान के साथ जुड़कर भिकारी मुक्त सिटी बनाने के लिए जल्द ही शुरुआत होने वाली है जबकि जिन 30 सिटी का चेयन सरकार ने किया है उसमे से सांची के जिला एवं निकाय से जुड़े सरकारी अधिकारियों का कहना है कि उनके यहां कोई तरह के भिखारी है ही नहीं। लेकिन अभी तक जिन चार शहरो ने रिपोर्ट नहीं सोपी वो है उदयपुर, कुशीनगर, कांगड़ा और कटक ने अभी तक स्वीकृति नहीं दी है, लेकिन 25 शहरों ने अपनी रिपोर्ट सोप दी है जिसपर जल्द ही कार्यवाही होने के आसार है