Jambhsar Media News Digital Desk नई दिल्ली: जोधपुर राजस्थान हाईकोर्ट के न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास ने एक याचिका की सुनवाई करते हुए अपना महत्तपूर्ण फैसला दिया है. उनके इस फैसले से आने वाले समय में काफी सकारात्मक परिवर्तन होगा. याचिका की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा है कि बतौर संरक्षक यदि बच्चे के माता-पिता कमा रहे हैं, तो बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी दोनों को साझा करनी होगी.
न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास की एकल पीठ में एक प्रार्थी की याचिका पर बच्चों के भरण-पोषण दिलवाने के मामले में सुनवाई हुई. यहां परिवादी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि मेरे मुवक्किल का परिवारिक न्यायालय में मामला दर्ज है और वह सेल्समैन की नौकरी करता है, उसकी पत्नी अध्यापिका है. जब बच्चे के दोनों संरक्षक कमा रहे हैं और दोनों की आर्थिक स्थिति लगभग समान है, ऐसी स्थिति में बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी का बोझ अकेले पिता डालना अनुचित है.
बहस का जवाब देते हुए वादी के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उसका पति कई समय से बच्चों के भरण-पोषण का खर्च नहीं दे रहा है. जिससे मासूम बच्चों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि पारिवारिक न्यायालय में मामला दर्ज है और वहां से फैसला आने में समय लग सकता है. बच्चों के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पति की होती है, इसलिए उसे ही खर्च उठाना होगा.
इसपर परिवादी के अधिवक्ता ने कोर्ट में बहस करते हुए कहा कि मेरे मुवक्किल की आमदनी बहुत ही कम है और बच्चों की माता भी नौकरी करती हैं. हालांकि वो भी कमाती हैं और बेरोजगार नहीं हैं. इसलिए उनके भरण-पोषण की जिम्मेदारी माता भी उठाएं. कोर्ट ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अपने आदेश में कहा कि बतौर संरक्षक यदि बच्चे के माता-पिता कमा रहे हैं, तो बच्चे के भरण-पोषण की जिम्मेदारी भी दोनों को साझा करनी होगी.