Jambhsar Media Digital Desk : अगर आप भी बैंक खाताधारक है तो इस खबर को पढ़ना आपके लिए बेहद जरूरी है। दरअसल आज हम आपको अपनी इस खबर में ये बताने जा रहे है कि अगर आपने जिस बैंक में पैसा जमा किया है और वो बैंक डूब जाता है तो आपको अपना कितना पैसा वापस मिलेगा। आइए नीचे खबर में जानते है क्या कहता नया रूल।
बैंकों में तमाम ग्राहकों के सेविंग्स अकाउंट होते हैं, एफडी वगैरह के जरिए उनका तमाम पैसा बैंकों के पास जमा होता है. पिछले दिनों कई बैंकों के खराब हालत (bad condition of banks) की खबर आ रही थी. ऐसे में बहुत सारे ग्राहक परेशान हो जाते हैं. मान लीजिए अगर आपने जिस बैंक में पैसा जमा (money deposited in bank) किया है और वो बैंक डूब जाता है तो आपको अपना कितना पैसा वापस मिलेगा. एक साल पहले जो नियम था उसके मुताबिक बैंक डूबने पर (when the bank collapses)आपको अधिकतम एक लाख रुपए मिलते थे.
इस नियम को बदलने के लिए वित्त मंत्री ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट (DICGC) में संशोधन का प्रस्ताव पेश किया था. इसके बाद यह कानून बदल गया और बीमित रकम की लिमिट 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दी गई.
करीब 28 साल बाद इस बीमित रकम की लिमिट (Sum Assured Limit) बढ़ाई गई थी. दरअसल, डिपॉजिट इंश्योरेंस (Deposit Insurance) एक तरह की स्कीम है, जिसके तहत किसी बैंक के फेल होने के बाद ग्राहकों का अधिकतम 5 लाख रुपये सुरक्षित रहता है.
इस बदलाव के बाद डिपॉजिटर्स को इस बात का इंतजार नहीं करना होगा कि बैंक लिक्विडेशन प्रक्रिया में जाए, तभी वे अपनी डिपॉजिट रकम को क्लेम (claim deposit amount) कर सकें.
अगर कोई बैंक मोरेटोरियम (Bank Moratorium) में भी होता है तो डिपॉजिटर डीआईसीजीसी एक्ट (DICGC Act.) के तहत अपनी रकम क्लेम कर सकता है. दूसरे भाषा में कहें तो इसका मतलब है कि नये संशोधन से उन बैंकों के हजारों डिपॉजिटर्स को राहत मिल सकेगी, जो बैंक लंबे समय तक मोरेटोरियम में रहता है.
DICGC एक्ट, 1961 की धारा 16 (1) के प्रावधानों के तहत, अगर कोई बैंक डूब जाता है या दिवालिया हो जाता है, तो DICGC प्रत्येक जमाकर्ता को भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होता है. उसकी जमा राशि पर 5 लाख रुपये तक का बीमा होगा.
आपका एक ही बैंक की कई ब्रांच में खाता है तो सभी खातों में जमा अमाउंट और ब्याज जोड़ा जाएगा और केवल 5 लाख तक जमा को ही सुरक्षित माना जाएगा. इसमें मूलधन और ब्याज (Principal and Interest) दोनों को शामिल किया जाता है. मतलब साफ है कि अगर दोनों जोड़कर 5 लाख से ज्यादा है तो सिर्फ 5 लाख ही सुरक्षित माना जाएगा.
किसी भी बैंक को रजिस्टर करते समय में डीआईसीजीसी (DICGC) उन्हें प्रिंटेड पर्चा देता है, जिसमें डिपॉजिटर्स को मिलने वाली इंश्योरेंस के बारे में जानकारी होती है. अगर किसी डिपॉजिटर को इस बारे में जानकारी चाहिए होती है तो वे बैंक ब्रांच के अधिकारी से इस बारे में पूछताछ कर सकते हैं.
DICGC द्वारा बीमा की रकम कैलकुलेट करते समय एक ही बैंक एक ही व्यक्ति द्वारा सभी अकाउंट को ध्यान में रखा जाता है. अगर इन फंड्स का मालिकाना विभिन्न तरह की है या अलग-अलग बैंक में डिपॉजिट है तो बीमा की रकम अगल-अलग ही होगी.
मान लीजिए कि आपने दो बैंकां में अकाउंट खुलवाया है तो यह दोनों अकाउंट में अधिकतम 5-5 लाख रुपये ही बीमित होंगे.