8.5 लाख की कमाई वालों को नहीं देना हो टैक्स, टैक्सपेयर्स जान लें काम की बात

हमारा व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें: Click Here

Jambhsar Media Digital Desk : नेशनल पेंशन स्कीम में निवेश करके इनकम टैक्स की अलग-अलग धाराओं में 9.5 लाख तक की इनकम पर ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में टैक्स बचाया जा सकता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Join Now

 बहुत से लोग रिटायरमेंट के लिए बचत करने के लिए राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (NPS) में निवेश करते हैं. NPS का एडिशनल बेनिफिट यह है कि यह ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम दोनों में टैक्स बेनिफिट प्रदान करता है. ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत, NPS आयकर अधिनियम, 1961 की तीन धाराओं के तहत टैक्स बेनिफिट प्रदान करता है.

करेंट FY में न्यू टैक्स रिजीम का ऑप्शन चुनने वाले व्यक्ति NPS में निवेश करके इनकम टैक्स एक्ट की धारा 80CCD(2) के तहत कटौती प्राप्त कर सकते हैं. यदि नियोक्ता कर्मचारी की ओर से NPS खाते में योगदान देता है तो कुल इनकम से इस कटौती का दावा किया जा सकता है. यहां, नियोक्ता कर्मचारी के टियर- I NPS खाते में पैसा जमा करता है. ये NPS योगदान कर्मचारी की कंपनी की लागत (CTC) का हिस्सा हैं और इसलिए टेक-होम सैलरी पर इसका असर देखा जा सकता है.

ऐसी डिपॉजिट्स में से कोई कर्मचारी कटौती के तौर पर अपने वेतन के 10% तक की राशि का क्लेम कर सकता है. एक सरकारी (केंद्र और राज्य सरकार) कर्मचारी सरकार द्वारा किए गए NPS योगदान के लिए कटौती के रूप में अपने वेतन का 14% तक का क्लोम कर सकता है.

NPS में नियोक्ता के योगदान का कितना हिस्सा टैक्स रीबेट के तौर पर दावा किया जा सकता है. इसकी एक और सीमा है. कानून के मुताबिक, यदि NPS, कर्मचारी भविष्य निधि और किसी भी रिटायरमेंट निधि में नियोक्ता का योगदान एक वित्तीय वर्ष में 7.5 लाख रुपये से अधिक है, तो अतिरिक्त योगदान कर्मचारी के हाथ में टैक्सेबल होगा. इसके अलावा, कोई भी ब्याज, लाभांश या अतिरिक्त योगदान से अर्जित कोई रिटर्न भी कर्मचारी के हाथ में टैक्सेबल होगा.

बता दें, सरकार ने चालू वित्त वर्ष 2023-24 से न्यू टैक्स रिजीम को और अधिक आकर्षक बनाने की कोशिश की है. न्यू टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब को संशोधित किया गया है; मूल टैक्स छूट सीमा 50,000 रुपये से बढ़ाकर 3 लाख रुपये कर दी गई है.

सैलरीड क्लास, पेंशनर्स और पारिवारिक पेंशनर्स के लिए न्यू टैक्स रिजीम में स्टैंडर्ड डिडक्शन शुरू की गई है; और धारा 87ए के तहत कर छूट को बढ़ाकर 7 लाख रुपये तक की आय पर शून्य टैक्स देय कर दिया गया है. इसके अलावा, न्यू टैक्स रिजीम डिफ़ॉल्ट टैक्स रिजीम बन गई है. इसलिए, जो व्यक्ति ओल्ड टैक्स रिजीम को चुनना चाहते हैं, उन्हें खास तौर पर इसको चुनना होगा, पिछले वर्षों के विपरीत जब ओल्ड टैक्स रिजीम डिफ़ॉल्ट टैक्स रिजीम थी.

हमारा व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें: Click Here

Share This Post

Rameshwari Bishnoi

Rameshwari Bishnoi

Leave a Comment

Trending Posts