Indian Railways: एक ट्रेन का इंजन चालू करने में खर्च होता है इतना तेल, सोचने पर हो जाओगे मजबूर

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Jambhsar Media News Digital Desk नई दिल्‍ली: हममें से ज्यादातर लोग अक्सर ट्रेन से यात्रा करते हैं ! जब भी हमें लंबी दूरी की यात्रा करनी होती है तो हम ट्रेन को प्राथमिकता देते हैं ! पहले ट्रेन भाप से चलती थी इसलिए इसके लिए कोयले का इस्तेमाल किया जाता था ! इसके बाद डीजल से चलने वाली ट्रेन का आविष्कार हुआ ! अब ट्रेन बिजली से चलती है ! आज हम आपको बताएंगे कि डीजल से चलने वाली ट्रेन का माइलेज कितना होता है !

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हमारे देश में ज्यादातर लोग कार खरीदते समय एक बात का ध्यान रखते हैं कि कार का माइलेज कितना है? एक लीटर पेट्रोल या डीज़ल में गाड़ी कितने किलोमीटर चलेगी? ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि देश में हर दिन करोड़ों लोगों को एक शहर से दूसरे शहर पहुंचाने वाली ट्रेन का माइलेज कितना होता है? पेट्रोल और डीजल की लगातार आसमान छूती कीमतों के बीच जैसे आप इस बात का ध्यान रखते हैं कि किस गाड़ी का माइलेज कितना है, वैसे ही आज हम जानते हैं कि एक लीटर डीजल में आपकी और हमारी ट्रेन कितना माइलेज देती है !

भारतीय रेलवे के इंजन में लगे तेल टैंक को तीन भागों में बांटा गया है ! 5000 लीटर, 5500 लीटर और 6000 लीटर ! डीजल इंजन में प्रति किलोमीटर का औसत माइलेज वाहन के भार पर निर्भर करता है !

रेल इंजन का माइलेज कई बातों से तय होता है ! अगर डीजल इंजन से चलने वाली 12 कोच वाली पैसेंजर ट्रेन की बात करें तो यह 6 लीटर में एक किलोमीटर का माइलेज देती है ! 24 कोच वाली एक्सप्रेस ट्रेन में लगा डीजल इंजन भी 6 लीटर प्रति किलोमीटर का माइलेज देता है ! इसके अलावा अगर कोई एक्सप्रेस ट्रेन 12 कोच के साथ चलती है तो उसका माइलेज 4 ! 50 लीटर प्रति किलोमीटर हो जाता है !

पैसेंजर ट्रेन और एक्सप्रेस ट्रेन के माइलेज में अंतर होता है क्योंकि पैसेंजर ट्रेन सभी स्टेशनों पर रुकते हुए चलती है ! इसमें ब्रेक और एक्सीलेटर का इस्तेमाल ज्यादा होता है ! ऐसे में पैसेंजर ट्रेन का माइलेज एक्सप्रेस ट्रेन से कम होता है ! इसके विपरीत, एक्सप्रेस ट्रेनों में कम स्टॉप होते हैं और ब्रेक और एक्सीलेटर का कम उपयोग करना पड़ता है !

मालगाड़ी में माइलेज में काफी अंतर होता है ! कभी इसमें वजन ज्यादा होता है तो कभी गाड़ी खाली चलती है ! यदि मालगाड़ी पर अधिक वजन होगा तो माइलेज कम होगा ! अगर मालगाड़ी पर वजन कम होगा तो माइलेज ज्यादा होगा !

ट्रेन को रोकने के बावजूद उसका इंजन बंद न करने के पीछे वजह ये है कि उसे दोबारा स्टार्ट करने में 20-25 मिनट का समय लगता है ! इसके अलावा जब इंजन बंद किया जाता है तो ब्रेक पाइप का दबाव काफी कम हो जाता है और उसे वापस उसी स्थिति में लाने में काफी समय लगता है ! ट्रेन के इंजन को स्टार्ट करने में ज्यादा तेल नहीं लगता है ! इसे स्टार्ट करने के लिए भी बाइक या स्कूटर के समान ही तेल की आवश्यकता होती है !

आमतौर पर देखा जाता है कि डीजल इंजनों को घंटों एक ही जगह पर खड़ा रहना पड़ता है, फिर भी लोको पायलट इंजन का पावर बंद नहीं करते हैं ! ज्यादातर लोगों को लगता है कि डीजल इंजन को स्टार्ट करने में काफी डीजल की खपत होती है, इसलिए इसे बंद करने की बजाय इसे चालू रखा जाता है ! लेकिन ऐसा नहीं है ! डीजल इंजन को चालू रखने के पीछे दो सबसे बड़े कारण हैं !

GK In Hindi General Knowledge “ पहला कारण यह है कि डीजल इंजन का पावर बंद करने के बाद ब्रेक पाइप का दबाव काफी कम हो जाता है और उसे वापस उसी क्षमता पर आने में काफी समय लग जाता है ! इसके अलावा दूसरा कारण यह है कि डीजल इंजन को स्टार्ट होने में आमतौर पर 20-25 मिनट का समय लगता है ! इसलिए डीजल इंजन को बंद करने की बजाय उसे चालू रखना बेहतर माना जाता है !

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Rameshwari Bishnoi

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