Jambhsar Media News Digital Desk नई दिल्ली: गर्मी का मौसम शुरू होने के साथ ही पानी की किल्लत होना आम बात है. इस अंदेशे को पहले से भांपते हुए जोधपुर के जलदाय विभाग ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. 70 दिन का इंदिरा गांधी नहर की मरम्मत को लेकर यह क्लोजर होता है जो हर साल प्रस्तावित रहता है.
वहीं इस साल यह मार्च के अंत में या फिर अप्रैल से पहले वीक के अंदर यह प्रस्तावित है जब पंजाब सरकार इसको लेकर अनुमति देगी. पंजाब की सरकार से राजस्थान के जल संसाधन अधिकारियों की वार्ता चल रही है. दरअसल, इंदिरा गांधी नहर में मरम्मत व साफ सफाई का कार्य किया जाएगा. पीएचडी विभाग ने पानी का स्टोरेज करना शुरू कर लिया है.
जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता नीरज माथुर ने बताया कि क्लोजर को लेकर एक एग्रीमेंट राजस्थान सरकार, पंजाब सरकार और भारत सरकार के साथ किया गया था. उसी के तहत 70 दिन का क्लोजर लिया जाना प्रस्तावित है, जिसमें नहर की मरम्मत का कार्य होता है. यह नहर काफी पुरानी है उसी के चलते लगातार मरम्मत का कार्य किया जाता है.
साथ ही उन्होंने कहा कि पानी की परेशानी जोधपुर की जनता को नही हो उसको लेकर शटडाउन लिया जा रहा है ताकि जोधपुर के जो वाटर रिसोर्सेज है जिसमें कायलाना, तखतसागर और सुरपुरा के अलावा जो अन्य सोर्सेज है उनको भरने का काम चल रहा है.
इंदिरा गांधी नहर परियोजना की शुरूआत 1958 में हुई थी जो आज राजस्थान की मरूगंगा बन गई है. पश्चिमी राजस्थान के 14 जिलों की करोडों की आबादी इंदिरा गांधी नहर के पानी पर पूरी तरह से निर्भर हो गई है. दुनियाभर में थार मरूस्थल के नाम से मशहूर राजस्थान के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, बीकानेर, जैसलमेर, बाड़मेर, जोधपुर और नागौर सहित कई जिलों में पेयजल एवं कृषि के लिए काम में आता है. नहर के क्लोजर समय के लिए प्रशासन ने स्थानीय लोगों से पानी का स्टोरेज करके रखने की अपील की है.