राजस्थान के चूरू में वायुसेना का जगुआर फाइटर जेट क्रैश: राजस्थान के चूरू जिले के रतनगढ़ क्षेत्र के भानुदा गांव में बुधवार (9 जुलाई ) दोपहर भारतीय वायुसेना का एक जगुआर फाइटर जेट क्रैश हो गया। यह हादसा दोपहर करीब 12:40 बजे हुआ, जब आसमान में अचानक तेज आवाज और फिर खेतों में आग की लपटें दिखाई दीं। ग्रामीणों के लिए यह पल किसी डरावने सपने से कम नहीं था—जहां कुछ ही सेकंड में आसमान का एक मजबूत जेट आग के गोले में तब्दील हो गया और धरती पर बिखर गया।
हादसे की भयावहता और मानवीय क्षति
इस हादसे में विमान में सवार दोनों पायलट—मुख्य पायलट और को-पायलट—शहीद हो गए। हादसा इतना भीषण था कि उनके शव बुरी तरह क्षत-विक्षत अवस्था में मिले, जिनकी पहचान की प्रक्रिया सेना और प्रशासन की निगरानी में चल रही है। गांव के लोग बताते हैं कि पहले उन्होंने विमान की तेज गड़गड़ाहट सुनी, फिर जोरदार धमाका हुआ और देखते ही देखते खेतों में आग लग गई। मलबा दूर-दूर तक बिखर गया और जमीन में एक बड़ा गड्ढा बन गया।

राहत और बचाव कार्य
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस, प्रशासन और सेना की टीमें मौके पर पहुंच गईं। चूरू के एसपी जय यादव ने बताया कि हादसा राजलदेसर थाना क्षेत्र के भानुदा गांव में हुआ। हादसे के तुरंत बाद वायुसेना का एक हेलिकॉप्टर भी मौके पर पहुंचा, जिसे आसपास हेलीपैड न होने के कारण सड़क पर उतारना पड़ा। प्रशासन ने राहत और बचाव कार्य में कोई कसर नहीं छोड़ी।

तकनीकी खराबी बनी हादसे की वजह?
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, यह जगुआर फाइटर जेट सूरतगढ़ एयरबेस से नियमित ट्रेनिंग मिशन पर था और तकनीकी खराबी के कारण क्रैश हुआ। ऐसा बताया जा रहा है कि पायलट और को-पायलट को तकनीकी समस्या के चलते इजेक्ट (विमान से सुरक्षित बाहर निकलना) करने का मौका नहीं मिला। हालांकि, दुर्घटना के असली कारणों का पता लगाने के लिए भारतीय वायुसेना ने कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी (आंतरिक जांच) के आदेश दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही पूरी सच्चाई सामने आ सकेगी।
पिछले कुछ महीनों में तीसरा हादसा
यह हादसा केवल एक अलग-थलग घटना नहीं है। इसी साल मार्च और अप्रैल में भी जगुआर फाइटर जेट के क्रैश होने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं—मार्च में अंबाला और अप्रैल में गुजरात में ऐसे हादसे हुए थे। पिछले चार महीनों में जगुआर का यह तीसरा बड़ा हादसा है, जिससे वायुसेना के इस पुराने लेकिन भरोसेमंद विमान की ऑपरेशनल सेफ्टी पर सवाल उठने लगे हैं।

जगुआर: भारतीय वायुसेना का पुराना साथी
जगुआर फाइटर जेट ब्रिटिश-फ्रेंच तकनीक पर आधारित सुपरसोनिक विमान है, जिसे 1978 में भारतीय वायुसेना में शामिल किया गया था। यह कम ऊंचाई पर तेज रफ्तार (लगभग 1700 किमी/घंटा) से उड़ान भरने और दुश्मन के इलाके में गहराई तक घुसकर हमला करने में सक्षम है। कारगिल युद्ध में भी इसने अहम भूमिका निभाई थी। लेकिन अब इसकी उम्र और तकनीकी चुनौतियां चिंता का विषय बनती जा रही हैं।
सीएम भजनलाल शर्मा ने जताया शोक
राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने इस हादसे पर गहरा दुख जताया है। उन्होंने कहा कि प्रशासन अलर्ट मोड पर है और राहत-बचाव कार्यों के लिए अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। मुख्यमंत्री ने शोक संतप्त परिवारों के प्रति संवेदना व्यक्त की।
इस हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि देश की सुरक्षा में लगे पुराने विमानों की तकनीकी सेफ्टी और पायलटों की सुरक्षा के लिए और क्या किया जा सकता है। जब तक कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी की रिपोर्ट नहीं आ जाती, तब तक कई सवाल अनुत्तरित रहेंगे। लेकिन इतना जरूर है कि देश अपने शहीदों को हमेशा याद रखेगा—उनकी बहादुरी, समर्पण और बलिदान को सलाम करता रहेगा।















