लेडी सिंघम का फर्जीवाड़ा: दो साल तक reels से पुलिस को नचाती रही..

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लेडी सिंघम’ का फर्जीवाड़ा:- राजस्थान की राजधानी जयपुर में दो साल तक पुलिस वर्दी में रौब झाड़ती, सोशल मीडिया पर अफसरों के साथ रील बनाती और खुद को ‘लेडी सिंघम’ कहलवाती मोना बुगालिया उर्फ मूली देवी आखिरकार पुलिस के शिकंजे में आ गई। यह कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं—जहां एक आम युवती ने फर्जी सब-इंस्पेक्टर (SI) बनकर न सिर्फ राजस्थान पुलिस अकादमी (RPA) में बाकायदा ट्रेनिंग ली, बल्कि बड़े अफसरों के साथ उठना-बैठना, फोटो-शूट और धमकियां तक दीं। लेकिन सच ज्यादा देर छुपता नहीं—शास्त्री नगर थाना पुलिस ने सीकर से मोना को गिरफ्तार कर लिया है।

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फर्जी वर्दी, असली रुतबा

मूल रूप से नागौर जिले के नीम्या का बास गांव की रहने वाली 28 वर्षीय मोना बुगालिया ने 2021 में सब-इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा दी थी, लेकिन चयन नहीं हुआ। इसके बावजूद उसने सोशल मीडिया पर खुद को चयनित बताकर अफवाह फैलाई और फर्जी दस्तावेजों के दम पर राजस्थान पुलिस अकादमी में प्रवेश कर लिया। वहां वह बाकायदा SI बैच संख्या 48 के साथ ट्रेनिंग करती रही। वर्दी पहनकर वह न सिर्फ अकादमी के परिसर में घूमती, बल्कि IPS, RPS और पुलिस इंस्पेक्टरों के साथ फोटो-रील बनाकर सोशल मीडिया पर पोस्ट करती थी।

दो साल तक पुलिस को चकमा

मोना का आत्मविश्वास इतना था कि वह वरिष्ठ अधिकारियों के सामने भी बिना हिचक वर्दी में नजर आती। कई अफसरों से उसने व्यक्तिगत जान-पहचान बना ली थी। RPA में चल रहे कई बैचों के कारण वह आसानी से भीड़ में घुल-मिल गई। किसी को शक तक नहीं हुआ कि यह युवती असल में पुलिसकर्मी नहीं है।

फर्जी पहचान का फायदा, धमकियां और रुतबा

मोना ने फर्जी पहचान का फायदा उठाते हुए कई लोगों को धमकाया भी। वह व्हाट्सएप कॉल पर खुद को अधिकारी बताकर सीकर के लोगों पर दबाव बनाती थी। कई बार उसने अपने सहकर्मियों को भी धमकी दी। यही उसकी सबसे बड़ी गलती साबित हुई—एक सहकर्मी को धमकी देने के बाद ही उसकी पोल खुली और पुलिस ने जांच शुरू की।

सीकर में छात्रा बनकर काट रही थी फरारी

सितंबर 2023 में शास्त्री नगर थाने में मोना के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी। इसके बाद वह फरार हो गई और सीकर में एक किराए के मकान में कोचिंग स्टूडेंट बनकर रहने लगी। पुलिस लगातार उसकी तलाश में थी। आखिरकार, 4 जुलाई 2025 को गुप्त सूचना के आधार पर शास्त्री नगर थाना पुलिस ने सीकर में दबिश देकर मोना को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के वक्त कमरे से बरामद हुए सबूत

पुलिस की छानबीन में मोना के कमरे से 7 लाख रुपये नकद, तीन अलग-अलग पुलिस वर्दी, RPA के इंटरनल एग्जाम के पेपर और अन्य दस्तावेज बरामद हुए। पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि मोना ने इस फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर कहीं किसी से आर्थिक लाभ तो नहीं लिया या और कोई अपराध तो नहीं किया।

पुलिस की लापरवाही या सिस्टम की कमजोरी?

इस पूरे मामले ने राजस्थान पुलिस अकादमी की सुरक्षा और जांच प्रणाली पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। आखिर कैसे एक युवती बिना चयन और नियुक्ति के दो साल तक अकादमी में ट्रेनिंग लेती रही और किसी को भनक तक नहीं लगी? क्या यह प्रशासनिक लापरवाही थी या सिस्टम में कोई बड़ी खामी?

मोना बुगालिया का यह फर्जीवाड़ा जहां एक ओर सिस्टम की कमजोरियों को उजागर करता है, वहीं यह भी दिखाता है कि सोशल मीडिया और दिखावे की दुनिया में लोग किस हद तक जा सकते हैं। ‘लेडी सिंघम’ बनकर मोना ने न सिर्फ कानून का मजाक उड़ाया, बल्कि उन युवाओं के साथ भी अन्याय किया जो सच में मेहनत कर पुलिस अधिकारी बनने का सपना देखते हैं।

मानवीय पहलू: एक युवती का सपना, गलत रास्ता

मोना के पिता ट्रक ड्राइवर हैं, परिवार साधारण है। मोना ने भी पुलिस में भर्ती का सपना देखा था, लेकिन असफलता के बाद उसने शॉर्टकट (shortcut) चुन लिया। शायद उसके मन में वर्दी का आकर्षण, समाज में रुतबा और पहचान की चाहत इतनी गहरी थी कि उसने सही-गलत की सीमा लांघ दी। यह घटना उन तमाम युवाओं के लिए भी सबक है जो शॉर्टकट या फर्जीवाड़े के रास्ते को आसान समझते हैं—क्योंकि सच कभी न कभी सामने आ ही जाता है।

पुलिस की कार्रवाई और आगे की जांच

फिलहाल मोना को कोर्ट में पेश कर पांच दिन की पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। पुलिस उससे पूछताछ कर रही है कि उसने और कितने लोगों को अपना शिकार बनाया, क्या किसी गिरोह से उसका संबंध है, और क्या उसने आर्थिक अपराध भी किए हैं।

यह मामला सिर्फ एक फर्जी SI की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि पूरे सिस्टम के लिए चेतावनी है। पुलिस को अब अपनी भर्ती, ट्रेनिंग और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करना होगा। समाज को भी यह समझना होगा कि वर्दी सिर्फ पहनने से नहीं, बल्कि ईमानदारी और मेहनत से मिलती है।

मोना बुगालिया की कहानी में एक युवा का सपना, सिस्टम की कमजोरी, सोशल मीडिया का दिखावा और कानून की सख्ती—सब कुछ शामिल है। यह घटना राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए एक बड़ा सबक है: फर्जीवाड़ा चाहे जितना भी स्मार्ट हो, सच के आगे टिक नहीं सकता।

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Beerma Ram is the owner of Jambhsar Media, who has been working in Media field since 2018, covering news of religious, political, social fields, connecting with rural life, living with backward people, educating illiterate people. Creating awareness, serving the poor and serving wildlife through my organization Jambhsar Hitkarini Snsthaan, saving rare animals has always been my goal.

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