मुसलमान कोरोना फैलाते हैं: 5 साल बाद खुला सच, अब मिली सफाई

हमारा व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें: Click Here

मुसलमान कोरोना फैलाते हैं: पांच साल बाद न्याय की जीत हुई है। दिल्ली हाई कोर्ट ने तबलीगी जमात से जुड़े एक ऐतिहासिक मामले में 70 भारतीय नागरिकों के खिलाफ दर्ज सभी आरोप खारिज कर दिए हैं। यह वही केस है जिसमें 2020 में कोविड-19 के दौरान मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाया गया था और मीडिया ने “कोरोना जिहाद” का नैरेटिव चलाया था। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने साफ शब्दों में कहा कि पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं था जो साबित करता हो कि इन लोगों देशों का उल्लंघन किया या कोविड-19 फैलाया।

WhatsApp Channel Join Now
Telegram Channel Join Now
Instagram Join Now

झूठे आरोप और मीडिया ट्रायल की सच्चाई

2020 का वह समय था जब पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही थी। उस दौरान निजामुद्दीन मरकज में आयोजित तबलीगी जमात के धार्मिक कार्यक्रम को भारत में कोविड-19 फैलाने का जिम्मेदार ठहराया गया था। लेकिन अब पांच साल बाद अदालत ने साफ कर दिया है कि यह सब झूठ था।

मीडिया की भूमिका शर्मनाक थी। टीवी चैनलों ने “कोरोना जिहाड”, “कोरोना टेररिज्म” जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके पूरे मुस्लिम समुदाय को बदनाम किया। #CoronaJihad हैशटैग लगभग 3 लाख बार ट्वीट हुआ और 16.5 करोड़ लोगों तक पहुंचा। यह सब बिना किसी ठोस सबूत के हुआ था।

कोर्ट का फैसला 

दिल्ली हाई कोर्ट ने अपने फैसले में 16 FIR और चार्जशीट को पूरी तरह खारिज कर दिया है। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने कहा कि पूरी चार्जशीट में यह साबित करने की एक भी बात नहीं है कि इनमें से कोई भी व्यक्ति कोविड-19 पॉजिटिव था या इन्होंने जानबूझकर बीमारी फैलाई”

कोर्ट के मुख्य निष्कर्ष:

  • धारा 188 (सरकारी आदेश की अवहेलना):अदालत ने पाया कि सरकारी आदेश ठीक से प्रकाशित नहीं हुए थे और लॉकडाउन के कारण लोग फंसे हुए थे
  • धारा 269-270 (संक्रमण फैलाना):कोई सबूत नहीं मिला कि किसी ने जानबूझकर संक्रमण फैलाया
  • महामारी अधिनियम का उल्लंघन:यह साबित नहीं हुआ कि किसी ने सरकारी अधिकारियों का विरोध किया या निर्देशों को मानने से इनकार किया

पीड़ितों की आपबीती – पांच साल का संघर्ष

इस केस के पीड़ित शफीकुद्दीन मलिक ने कहा, हमने पूछा कि हमारा गुनाह क्या है, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला”। पांच साल तक इन लोगों को सामाजिक बहिष्कार और कलंक झेलना पड़ा। कई लोगों को नौकरी छोड़नी पड़ी, बच्चों को स्कूल में परेशानी हुई।

हिमाचल प्रदेश के ऊना जिले में रहने वाले 37 साल के मोहम्मद दिलशाद ने तो आत्महत्या तक कर ली थी। उनका सिर्फ इतना कसूर था कि उन्होंने तबलीगी जमात से जुड़े दो लोगों की मदद की थी। मरने से पहले उन्होंने लिखा था: “मैं किसी का भी दुश्मन नहीं हूं।”

मीडिया का दोहरा चरित्र – अब माफी मांगेगी?

वकील आशिमा मंडला, जिन्होंने इस केस को लड़ा, ने कहा कि सरकार चाहती थी एक आसान बलि का बकरा क्योंकि वे महामारी के लिए बिल्कुल तैयार नहीं थे”। उन्होंने बताया कि कैसे मीडिया ने बिना सबूत के पूरे समुदाय को निशाना बनाया।

फेक न्यूज का जहर:

  • मुसलमानों के खाने में थूकने के फेक वीडियो
  • सार्वजनिक जगहों पर छींकने के झूठे क्लिप्स
  • तबलीगी जमात सदस्यों के बारे में गढ़ी गई कहानियां

बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसे “पत्रकारिता के नाम पर उत्पीड़न” कहा था। NBDSA ने आज तक को अपनी एक स्टोरी हटाने का आदेश दिया था क्योंकि वह तटस्थता का उल्लंघन करती थी।

लोगों मे नफरत का बीज बोया गया

इस झूठे प्रचार का असर जमीन पर दिखा। देश के कई हिस्सों में मुसलमानों पर हमले हुए:

  • मुस्लिम फल और दूध विक्रेताओं पर पाबंदी
  • धार्मिक आधार पर सामाजिक बहिष्कार
  • पुलिस द्वारा भेदभावपूर्ण व्यवहार

हाफिज मोहम्मद नसीरुद्दीन कहते हैं कि एक पुलिस अधिकारी ने मुझे सिर्फ इसलिए पीटा क्योंकि मैं मुसलमान हूं और उसका कहना था कि मेरी वजह से यह बीमारी फैल रही है”

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को चेतावनी देनी पड़ी थी: यह बहुत महत्वपूर्ण है कि हम मामलों को नस्लीय, धार्मिक और जातीय आधार पर प्रोफाइल न करें”। NPR, CNN, अल जज़ीरा जैसे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भारत में मुसलमानों के साथ हो रहे भेदभाव पर रिपोर्ट की थी।

न्यायपालिका का साहस – सच्चाई को सामने लाना

यह फैसला सिर्फ कानूनी जीत नहीं है, बल्कि न्याय व्यवस्था की विश्वसनीयता को बहाल करने वाला है। पूर्व मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना ने 2021 में ही कहा था: “इस देश में सब कुछ को मीडिया के एक वर्ग द्वारा सांप्रदायिक रंग दिया जाता है… देश को अंततः बुरा नाम मिलने वाला है”

#TablighiJamat #MaulanaSaad #DelhiHighCourt #CoronaJihad #FakeCase #MediaTrial #ViralNews #BreakingNews #TrendingNews #IndianJudiciary #NizamuddinMarkaz #FakeNews #Justice #CovidConspiracy #Muslim

हमारा व्हाट्सएप चैनल जॉइन करें: Click Here

Share This Post

JambhsarMedia

JambhsarMedia

Beerma Ram is the owner of Jambhsar Media, who has been working in Media field since 2018, covering news of religious, political, social fields, connecting with rural life, living with backward people, educating illiterate people. Creating awareness, serving the poor and serving wildlife through my organization Jambhsar Hitkarini Snsthaan, saving rare animals has always been my goal.

Leave a Comment

Trending Posts