Jambhsar Media Digital Desk : हमारे सामने अक्सर दो शब्द आते हैं. एक तो विरासत और दूसरा पैतृक संपत्ति. सुनने में तो दोनों एक जैसे लगते हैं, लेकिन इसमें बड़ा अंतर होता है. पुश्तैनी संपत्ति हमें अपने बाप-दादाओं से मिलती है, जबकि विरासत का दायरा काफी बड़ा होता है.आइए जानते है इसके बारे में विस्तार से.
क्या आपको पता है कि पैतृक और विरासत में मिली संपत्ति में अंतर होता है. अगर आपको दादा-परदादा से कोई संपत्ति मिली है तो उसे पैतृक संपत्ति की श्रेणी में रखेंगे. यहां समझने वाली बात ये है कि पैतृक संपत्ति आपके पिता की ओर से ही आएगी. यानी यह प्रॉपर्टी पिता या उनके पिता और इसी तरह उनके पूर्वजों से जुड़ी होती है. वहीं, विरासत वाली प्रॉपर्टी माता की तरफ से आ सकती है. यानी आपको ननिहाल की तरफ से मिलने वाली प्रॉपर्टी विरासत कैटेगरी में जाएगी.
विरासत में आपको मामा, भाई या दादी की ओर से भी संपत्ति मिल सकती है. यह संपत्ति तब मिलती है जब मालिक की मृत्यु हो जाती है. पैतृक संपत्ति भी इसी का एक हिस्सा है लेकिन यह आपको अपने पिता, दादा या परदादा से ही मिलती है. सीधे शब्दों में कहें तो विरासती संपत्ति आपको परिवार का कोई भी सदस्य दे सकता है लेकिन पैतृक संपत्ति वही होगा जो पापा-दादा से मिलेगी. पैतृक संपत्ति पर आपका अधिकार आपके जन्म लेते ही हो जाता है.
अगर कुछ अपवादों को छोड़ दें तो किसी शख्स को उसकी पैतृक संपत्ति से बेदखल नहीं किया जा सकता है. उसके पिता या माता केवल अपनी कमाई हुई संपत्ति से ही उसे बाहर कर सकते हैं. हालांकि, कोर्ट ने कुछ मामलों में माता-पिता के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बच्चे को पैतृक संपत्ति से भी बेदखल करने की अनुमति दी है. इसमें काफी कानूनी दांव-पेंच होते हैं. आमतौर पर कोई बेदखल व्यक्ति भी अपनी पुश्तैनी या पैतृक संपत्ति पर दावा कर सकता है. पुश्तैनी संपत्ति पर दावे के लिए 12 साल का वक्त मिलता है. कोर्ट चाहे तो परिस्थितियों को देखते हुए 12 साल बाद भी दावे की अनुमति दे सकता है.
पुश्तैनी संपत्ति अगली 4 पीढ़ियों का अधिकार होता है. परदादा के पिता से मिली संपत्ति में परदादा, दादा, पिता और फिर बेटे का अधिकार होता है. एक गलती के कारण पुश्तैनी संपत्ति का दर्जा छिन सकता है. पैतृक संपत्ति का दर्जा तभी तक रहता है जब तक वह अविभाजित है. अगर चार पीढ़ियों में से किसी ने भी बंटवारा किया तो पैतृक संपत्ति का दर्जा छिन जाएगा. इसके बाद अगर किसी को संपत्ति से बेदखल किया जाता है तो वह पुश्तैनी संपत्ति में हक का दावा नहीं कर सकता.