Rajasthan Nahar: राजसमंद झील को पानी पहुंचाने वाली खारी फीडर, जिसे इसकी जीवन रेखा कहा जाता है, को चौड़ा करने की योजना को मंजूरी के लिए जयपुर मुख्यालय भेजा गया है। अगर वहां से हरी झंडी मिलती है, तो अगले महीने से काम शुरू हो सकता है। इस काम पर 150 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
नाथद्वारा के पास बाघेरी का नाका (Bagheri Ka Naka) जब ओवरफ्लो होता है, तो उसका पानी नंदसमंद (Nandsamand) पहुंचता है। वहां से खारी फीडर के रास्ते यह पानी राजसमंद झील तक आता है। इसे चौड़ा करने के लिए राज्य सरकार ने बजट में 150 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था। सिंचाई विभाग ने इसके लिए डीपीआर (Detailed Project Report) तैयार की और टेंडर निकाले।
आठ कंपनियों ने टेंडर में हिस्सा लिया, जिनमें से छह सही पाई गईं। इसके बाद सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी को चुनने के लिए फाइल सर्कल ऑफिस भेजी गई, फिर उदयपुर जोन ऑफिस (Udaipur Zone Office) से जयपुर मुख्यालय पहुंची।
वहां से मंजूरी मिलते ही चुनी गई कंपनी को काम शुरू करने का आदेश दे दिया जाएगा। उम्मीद है कि इस महीने के अंत तक सारी प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और अगले महीने से काम शुरू हो जाएगा।
पहले कांग्रेस सरकार ने इस काम के लिए 80 करोड़ रुपये का ऐलान किया था, लेकिन तब काम शुरू नहीं हो पाया। अब भाजपा सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए 150 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
खारी फीडर के बारे में खास बातें
- पानी की मात्रा: 400 क्यूसेक पानी हर बार इसमें आता है।
- लंबाई: खारी फीडर 32.40 किलोमीटर लंबी है।
- चौड़ाई: अभी यह 4.60 मीटर चौड़ी है।
जमीन और पहाड़ काटने की जरूरत
नंदसमंद के छलकने पर खारी फीडर को खोला जाता है, जो 32.40 किलोमीटर दूर राजसमंद झील तक पानी ले जाती है। इसे चौड़ा करने के लिए कुछ जगहों पर पहाड़ काटने होंगे, कई जगह पुल बनाने पड़ेंगे और कुछ जमीन भी लेनी होगी। मानसून में पानी कई दिनों तक चलता है, इसलिए यह काम टुकड़ों में करना होगा। इस वजह से पूरे प्रोजेक्ट में ढाई से तीन साल लग सकते हैं।
डीएमएफटी फंड से मिले 75 करोड़
पिछले साल दिसंबर में कलेक्ट्रेट सभागार में हुई डीएमएफटी (District Mineral Foundation Trust) की बैठक में खारी फीडर के लिए 75 करोड़ रुपये मंजूर किए गए। कुल 150 करोड़ के इस प्रोजेक्ट में पहली बार में 25 करोड़ रुपये दिए गए हैं। काम पूरा होने के बाद फीडर की चौड़ाई दोगुनी हो जाएगी और पानी की मात्रा भी दोगुनी हो सकेगी।
जयपुर से मंजूरी का इंतजार
टेंडर की प्रक्रिया पूरी होने के बाद चुनी गई कंपनी की फाइल जयपुर मुख्यालय भेजी गई है। वहां से मंजूरी मिलते ही काम शुरू करने का ऑर्डर जारी होगा। सिंचाई विभाग के एक्सईएन (Executive Engineer) मानसिंह मीणा ने बताया कि यह प्रोजेक्ट राजसमंद झील के लिए बेहद जरूरी है।