Jambhsar Media News Digital Desk नई दिल्ली: झुंझुनू के एक किसान की किस्मत 42 साल पहले खेत में लगी एक झाड़ी ने खोल दी. इस किसान ने एक झाड़ी देखकर खेत में ऐसी 800 झाड़ियां लगा दीं. अब इन्हीं झाड़ियों से किसान लाखों की कमाई कर रहा है और करीब दो दर्जन लोगों को रोजगार दे रहा है. ये झाड़ी किसान के लिए इतना लकी साबित हुआ कि उसे खेती के लिए कई बार सम्मानित भी किया जा चुका है.
सफलता की ये कहानी झुंझुनू के केसरीपुरा में रहने वाले किसान मोहर सिंह की है. वो अब खेती में नवाचार के लिए बाकी किसानों के प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. अब आपको बताते हैं झाड़ी का किस्सा.
मोहर सिंह अपनी कहानी खुद बताते हैं.उन्होंने बताया उनके खेत में 1981 में एक देसी झाड़ी लगी दिखी. सिंचाई के दौरान पानी मिलने पर वो फल उठी. फल भी ऐसे थे जिसे देखकर किसी का भी मन ललचा उठे. बस तभी तय कर लिया कि पूरे खेत में इसी फल का झाड़ लगाएंगे. अब हम बताते हैं कि ये झाड़ी दरअसल खट-मिट्ठे बेर की थीं. मोहर सिंह ने बताया जब देसी झाड़ी में बेर लगे तब उनके दोस्त ने बेर के सौ रुपए देने की बात कही. मोहर सिंह ने कहा एक झाड़ी के क्या पैसे लूं. तुम बेर खा लो. लेकिन मन में सोचा एक झाड़ी के 100 रुपए दे रहा है अगर ज्यादा लगाऊं तो ज्यादा मुनाफा हो जाएगा. बस अपनी पूरी एक बीघा जमीन पर बेर के पेड़ लगा दिए. इनके खेत में अब बेर के 800 पेड़ हैं. सब फल रहे हैं. इनसे साल में एक झाड़ी से लगभग 1 क्विंटल बेर होता है.
मोहर सिंह के खेत में सिर्फ एक तरह के देसी नहीं बल्कि विदेशी किस्म के भी पेड़ लगे हुए हैं. उन्होंने ब्रिज एप्पल, गोला, पुगरान, मुंडिया, छुहारा, कश्मीर रेड, थाई एप्पल और सुंदरी वैरायटी के बेर लगा रखे हैं. बाकी बेर तो वो मिलाजुला कर एक रेट पर बेचते हैं. लेकिन थाई एप्पल को अलग रखते हैं.
बेर का फल इनके जीवन में ऐसा फला कि अब मोहर सिंह के दोनों बेटे भी इसकी खेती में हाथ बंटाते हैं. उनके साथ करीब 20 मजदूर काम कर रहे हैं. मोहर सिंह ने बेर के अलावा खेत में मौसमी, किन्नू, बिल और खुद की नर्सरी भी है.