Jambhsar Media Desk, New Delhi: बिश्नोई समुदाय से जुड़े एक संत है राजेंद्रानंद जी महाराज (हरिद्वार वाले) उनके प्रवचन में एक बार ये कहा था कि राजस्थान के युवा वाकई में बेहद मेहनती होते है, ये किसी काम को करने में बिलकुल शर्म नहीं करते और मेहनत से अच्छा मुकाम भी हासिल कर लेते है. ऐसा ही कुछ हुआ एक युवा किशन मीणा के साथ..गरीबी ने उन्हें मजदूरी करने पर मजबूर कर दिया लेकिन अब वो सरकारी नौकरी पर कब्जा जमा लिए है वो भी अपनी मेहनत और लगन के दम पर..
किशन मीणा। जिनका गरीबी में जन्म हुआ। बड़े हुए तो इससे बाहर निकलने का सपना देखा। किसी तरह पढ़ाई की। हालांकि, आर्थिक तंगी लगातार उनका साया बनकर साथ रही। मजदूरी करने के लायक हुए तो, इसे भी किया। सालों हथौड़ा, सरिया, फावड़ा और कस्सी उठाया। लेकिन, गरीबी से निकलने की जिद पाले रहे। समय निकालकर पढ़ते। सरकारी परीक्षाओं की तैयारी करते और परीक्षाओं में भी बैठते, यह सोचकर कि अब इस बोझ से मुक्ति मिलेगी।
मेहनत इनती की, कि भगवान भी पिघल गए। और इसी साल उन्हें शिक्षक की परीक्षा में सफलता मिली। उनकी यह कहानी प्रेरणा तो देती ही है साथ ही यह भी बताती है कि जो सक्सेस की राह में गरीबी को रोड़ा मानते हैं। परिवार की कमजोर आर्थिक स्थिति को कोसते हैं। उनके लिए इसके अलावे भी विकल्प हैं।
आइए जाने है किशन मीणा की सक्सेस स्टोरी
किशन मीणा (Kishan Meena) चितौड़गढ़ के गांव गुंदलपुरा में 12 जनवरी 1998 को एक बेहद ही साधारण परिवार में जन्मे। उनकी माता कुशा देवी व पिता शंकर सिंह दोनों ही खेती करके परिवार चलाते हैं। कम पढ़े-लिखे हैं, मगर बेटे को जैसे-तैसे करके 12वीं तक पढ़ाया। खुद की जिम्मेदारी पर चित्तौड़गढ़ में किशन मीणा ने स्नातक में दाखिला लिया। किराए का मकान लेकर पढ़ाई शुरू की।
साथ ही आर्थिक जिम्मेदारी भी खुद ही उठाया। पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम मजदूरी करने लगे। साल-दो साल ऐसा ही बीता। फिर बीएड करने उदयपुर आए। यहां भी तैयारी के साथ पार्ट टाइम काम करने का सिलसिला जारी रहा।
मजदूर से बने मिस्त्री
हमारी टीम ने जब उनसे बात की तो उन्होंने बताया कि, मकान निर्माण कार्य में जब मैंने मजदूरी करनी शुरू की थी, तब मुझे 440 रुपए प्रतिदिन मिलते थे। फिर मैंने धीरे-धीरे छत डालना, कोलम भरना व मिस्त्री के अन्य काम भी जल्द ही सीख गया तो मजदूरी बढ़कर 550 व 600 तक मिलने लगी। दिनभर मजदूरी करता। रात को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी।
6 प्रयास रहे असफल, फिर पाया मुकाम
उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्हें कई प्रतियोगी परीक्षाओं में असफता मिली। पहले, राजस्थान पुलिस कांस्टेबल भर्ती 2018, फिर राजस्थान शिक्षक भर्ती 2021 , राजस्थान ग्राम विकास अधिकारी भर्ती 2022, द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती 2022, लैब असिस्टेंट भर्ती परीक्षा 2022, राजस्थान पटवारी भर्ती 2023 इत्यादि।
फिर सातवीं कोशिश सफल रही। साल 2023 में थर्ड ग्रेड लेवल-2 हिंदी विषय में चयन हुआ। इस परीक्षा में 300 में से 222 अंक हासिल किए। 30 सितंबर 2023 को उन्होंने बड़ी सादड़ी तहसील के राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय नयाखेड़ा में बतौर शिक्षक ज्वाइन किया है।
गरीब ना होता, तो शायद ये सीख ना मिलती
26 वर्षीय किशन मीणा अपने इस सफर को याद कर गर्व महसूस करते हैं। मीणा कहते हैं कि, पता नहीं अगर गरीब परिवार में न जन्मा होता तो जिंदगी के ये सीख मुझे मिल पाती। उनका कहना है कि साधारण परिवार में पैदा होने के बाद कठिनाईयां जरूर आती है लेकिन हिम्मत और धैर्य से कुछ भी किया जा सकता है।
उन्होंने सफलता कैसे पाएं? पर कहा कि सरकारी नौकरी हो फिर जिंदगी में अन्य कोई सफलता। सबके लिए एक ट्रिक है। वो है कड़ी मेहनत, निरंतर प्रयास और अफसलताओं पर अपनी कमियों को सुधार करके आगे बढ़ना। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं है।