Jambhsar Media Digital Desk : बेशक फिक्स्ड डिपॉजिट के फायदे (Benefits of fixed deposit) कई हैं. जैसे निश्चित रिटर्न रेट, ब्याज पर टैक्स की बचत(saving tax on interest), अपनी मर्जी से अवधि का चयन, आसानी से पैसे भुनाने की सुविधा और एफडी पर लोन आदि. ये फायदे एफडी को बेहद आकर्षक बनाते हैं. लेकिन एफडी के कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में जानना जरूरी है.
बैंक में एफडी कराना भारत में निवेश का सबसे लोकप्रिय विकल्प कहा जा सकता है। इसमें आपको कम पैसे में अपने मुताबिक निवेश करने की सुविधा मिलती है। यही वजह है कि बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) सबसे लोकप्रिय इन्वेस्ट ऑप्शन बना हुआ है। ये फायदे एफडी को बेहद आकर्षक बनाते हैं. लेकिन एफडी के कुछ नुकसान भी हैं जिनके बारे में जानना जरूरी है. इन नुकसान में कम ब्याज दर, फंड का लॉक इन, पैसा निकासी पर जुर्माना (saving tax on interest), कुछ हद तक टैक्स का लाभ नहीं और फिक्स्ड ब्याज दर आदि.
घाटे की बात करें तो पहला मुद्दा रिड्यूशिंग इंटरेस्ट रेट (reducing interest rate) का है. एफडी की ब्याज दर महंगाई को मात देती नहीं दिखती. अभी रेपो रेट बढ़ने से भले एफडी रेट बढ़ रहे हैं, लेकिन महंगाई दर को मात देने में एफडी अभी भी पीछे है. इसका अर्थ हुआ कि एफडी में निवेश करने के बाद भी महंगाई दर से अधिक की कमाई नहीं होती. अभी रेट भले बढ़ रहे हैं, लेकिन पूर्व में एफडी की दरों में लगातार गिरावट दिखी है.
दूसरा बड़ा घाटा फंड के लॉक इन का है. एफडी में जब पैसा जमा किया जाता है, तो उसी वक्त एक अवधि भी तय हो जाती है कि आप इतने साल तक अपना पैसा नहीं निकाल सकते. विपरीत परिस्थितियों में निकासी की सुविधा मिलती है, लेकिन जुर्माना देना पड़ता है. इससे आपका पैसा एक तरह से फंस जाता है. आपका ही पैसा जब आप निकालने जाएंगे तो जुर्माना देना पड़ता है. यह एक बड़ा नुकसान माना जाता है. यानी अपनी एफडी को कैश में भुनाना इतना आसान नहीं.
निकासी पर जुर्माना किसी भी ग्राहक के लिए कष्टदायक होता है. एक तो ग्राहक की ही पैसा निकालने में परेशानी होती है. दूसरी अगर किसी मुश्किल अपना ही पैसा निकालने की जरूरत पड़े, तो बैंक जुर्माना काटते हैं. इसमें भी बड़ी परेशानी ये होती है कि जुर्माने के तौर पर पैसा नहीं लिया जाता, बल्कि एफडी की ब्याज दर को घटा दिया जाता है. ऐसा सेविंग खाते में जमा पैसे पर नहीं होता. सेविंग में भी ब्याज मिलता है, लेकिन आप आसानी से जब मर्जी अपना पैसा निकाल लेते हैं.
एफडी में ग्राहक (customer in FD) पैसा इसलिए जमा करता है ताकि उसे अच्छा खासा रिटर्न मिले. लेकिन उस रिटर्न पर टैक्स देना पड़े, तो फायदा कम हो जाता है. एफडी पर मिलने वाला ब्याज ग्राहक के टैक्सेबल इनकम (taxable income of the customer) में जुड़ जाता है. इसलिए कमाए गए ब्याज पर कोई टैक्स डिडक्शन (tax deduction) नहीं मिलता. हालांकि सीनियर सिटीजन को ब्याज पर 50,000 रुपये तक की छूट मिलती है. एक बड़ा घाटा फिक्स्ड इंटरेस्ट रेट का भी है. एफडी की पूरी अवधि के लिए ब्याज दर निर्धारित हो जाती है. अगर रेट बढ़े भी तो एफडी की वही दर होती है जो पहले फिक्स हो चुकी है. यह ग्राहकों के लिए घाटे का सौदा होता है.