Jambhsar Media Digital Desk : खुद का घर खरीदने का हर किसी का सपना होता है। और घर खरीदने से पहले लोकेशन पसंद करना बहुत जरूरी है। जब कहीं घूमने के लिए पहाड़ी इलाकों में जाते हैं तो वहां का मौसम और वातावरण देख ऐसे मन करता है कि वहीं घर और जमीन (Buying property) खरीद लें। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आप कहीं भी अपना घर या जमीन नहीं खरीद सकते हैं। जी हां, भारत में कुछ ऐसे राज्य हैं जहां पर आप करोड़ों रुपये देने के बाद भी एक इंच जीमन नहीं खरीद सकते हैं। आइए नीचे खरब में विस्तार से जानते हैं क्या है वजह –
जीवन में हर व्यक्ति का सपना होता है कि वह खुद का घर बनाकर वहां रहे. कई बार खुद के गृहराज्य के अलावा दूसरे राज्य का मौसम और माहौल अपनी ओर आकर्षित करता है और हम वहां जमीन या घर बनाना चाहते हैं. लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में ऐसी कुछ जगहें भी हैं, जहां पर आपको जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है. आज हम आपको बताएंगे कि आप भारत के किन-किन राज्यों में घर नहीं बना सकते हैं.
पहाड़ी इलाकों में घूमने जाना लगभग हर किसी का सपना होता है. क्योंकि पहाड़ों में जो शांति और सुकून मिलता है, वो कहीं नहीं मिलता है. इसी तरह हर साल लाखों लोग हिमाचल प्रदेश में भी घूमने जाते हैं, लेकिन यहां पर किसी को भी पहाड़ियों में संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं मिलती है। साल 1972 के भूमि कानून की धारा 118 के मुताबिक गैर-कृषक अथवा बाहरी निवासी हिमाचल प्रदेश में खेती वाली जमीन नहीं खरीद सकता है.
साल 1963 में राज्य बनने के साथ ही नागालैंड के विशेष अधिकार के रूप में आर्टिकल 371 ए का प्रावधान है, जिसके तहत वहां पर जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है.
सिक्किम में सिर्फ सिक्किम के लोग ही जमीन की खरीद-फरोख्त कर सकते हैं. संविधान का अनुच्छेद-371 एफ सिक्किम को विशेषाधिकार उपलब्ध कराता है. ये अनुच्छेद बाहरी लोगों को सिक्किम में कृषि भूमि या संपत्ति की बिक्री और खरीद पर पाबंदी लगाता है. यही नहीं, सिक्किम के जनजातीय क्षेत्रों में केवल आदिवासी ही कृषि भूमि और संपत्ति खरीद सकते हैं. सिक्किम में केवल स्थानीय लोगों को अचल संपत्ति खरीदने की छूट मिलती है. वहीं, आदिवासी क्षेत्रों में सिक्किम के भी केवल आदिवासी ही अचल संपत्ति खरीद सकते हैं. हालांकि, बाहरी लोग औद्योगिक भवन निर्माण के लिए कृषि भूमि खरीद सकते हैं
अरुणाचल प्रदेश में भी बाहरी राज्य के लोगों को संपत्ति खरीदने की अनुमति नहीं है. लेकिन, राज्य में सरकारी अनुमति के बाद कृषि भूमि हस्तांतरित की जा सकती है. अरुणाचल प्रदेश को 1963 में राज्य बनने के साथ ही विशेषाधिकार के तौर पर अनुच्छेद-371 ए मिला था. इसके मुताबिक, राज्य में बाहरी लोगों को जमीन खरीदने की अनुमति नहीं है. इसके अलावा मिजोरम, मेघालय और मणिपुर में भी संपत्ति की खरीद-फरोख्त से जुड़े कई नियम-कानून हैं.
मिजोरम
मिजोरम में भी अनुच्छेद 371G के विशेष प्रावधान के मुताबिक प्रापर्टी की खरीद और ब्रिकी पर प्रतिबंध है. यहां पर बसने का मालिकाना हक सिर्फ वहां के आदिवासियों को है.
असम
असम भारत के उत्तर-पूर्व में स्थित है और जनसंख्या की दृष्टि से यह सबसे बड़ा उत्तर पूर्वी राज्य है जबकि क्षेत्रफल की दृष्टि से यह दूसरे स्थान पर है। यहां पर हर साल घूमने के लिए लाखों सैलानी आते हैं। यहां का वातावरण लोगों को इतना पसंद आता है कि मन करता है कि यहीं पर अपना घर या जमीन खरीद लें। लेकिन आप ऐसा नहीं कर सकते है। इस राज्य में अनुच्छेद 371B के तहत कोई भी बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं।
मणिपुर
हर साल घूमने के लिए लोग मणिपुर भी जाना पसंद करते हैं. लेकिन वहां पर बाहरी लोगों को जमीन खरीदने पर रोक है. अनुच्छेद 371B के तहत सिर्फ मणिपुर के लोग जमीन खरीद और बेच सकते हैं.
मेघालय
मेघालय प्रकृर्ति की खूबसूरती से घिरी हुआ है. मेघालय में पर्यटन के मुताबिक घूमने और रहने के लिए बहुत सारी जगह है. लेकिन संविधान के विशेष प्रावधान के तहत वहां पर भी बाहरी राज्यों के लोग जमीन नहीं खरीद सकते हैं.
अरुणाचल प्रदेश में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग समुदाय से जुड़ी भूमि का हस्तांतरण धारा-46 के जरिये प्रतिबंधित है. हालांकि, ऐसी जमीन को वसीयत के जरिये पड़ोसियों और उसी पुलिस थाना क्षेत्र में रहने वाले लोगों को दिया जा सकता है. शिलांग में भी बाहरी लोगों को संपत्ति खरीदने की छूट नहीं दी गई है. कई नियम-कानून ऐसे हैं, जिसके कारण पूर्वोत्तर के निवासी भी एक-दूसरे के राज्य में जमीन नहीं खरीद सकते हैं.