महिला IAS के नखरों से परेशान हो गई महाराष्ट्र सरकार
महिला IAS के नखरों से परेशान हो गई महाराष्ट्र सरकार ;दोस्तों प्रोबेशन के दौरान जिस समये नए ias ऑफिसरो को ट्रेनिंग के उदेश्य से छोटा विभाग सोपा जाता है तथा कम पावर के साथ ही कम सुविधाए दि जाती जब तक की उसका यह ट्रेनिंग पीरीअड समाप्त नहीं हो जाता लेकिन एक ऐसी महिला ट्रेनी देकने को मिली है जिसे यह सारी सुविधाए अभी के अभी चाहिए जिसके लिए उसने सारे विभाग के नाक मे दम करके रखा है विशेष सुविधाओं की मांग करने वाली एक IAS ट्रेनी का तबादला हुआ है।
समाचार है कि डॉ. पूजा खेड़कर को पुणे से वाशिम भेजने का निर्णय महाराष्ट्र सरकार ने लिया है। खास बात यह है कि खेड़कर ने VIP नंबर वाली कार, स्टाफ और गाड़ी की मांग की थी, जो प्रोबेशन पर काम कर रहे अधिकारी को नहीं दी जाती थीं। UPSC में उन्होंने 821 रैंक हासिल की थी।
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खेड़कर को पुणे से वाशिम भेज दिया गया है, क्योंकि उसके खिलाफ कई शिकायतें थीं कि वह पद का दुरुपयोग करता था। अब वह वाशिम में सुपर न्यमरी असिस्टेंट कलेक्टर होगी। निर्देश में कहा गया है कि 2023 बैच की IAS अधिकारी प्रोबेशन के बचे हुए समय के लिए वाशिम जिले में सुपर न्यूमरी असिस्टेंट कलेक्टर के कमरे में सेवाएं देंगी।कलेक्टर दफ्तर से विशेष मांगें रखने के कारण खेड़कर बहस में आ गईं।
खेड़कर के पिता ने भी सरकारी सेवा की है। उन्हें लगता था कि वे बेटी की सभी मांगों को पूरा करने के लिए कलेक्टर पर दबाव डाल रहे थे। कहा जाता है कि ऐसा नहीं होने पर उन्होंने परिणामों की धमकी भी दी थी।
हिन्दुस्तान टाइम्स ने बताया कि पुणे कलेक्टर डॉक्टर सुहास दिवासे ने पहले एडिशनल चीफ सेक्रेटरी नितिन गदरे को पत्र लिखा था, जिसमें खेड़कर को दूसरे जिले में स्थानांतरित करने पर विचार की मांग की गई थी। दिवासे ने भी उनके व्यवहार को लेकर उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। एडिशनल कलेक्टर अजय मोरे के चैंबर पर कब्जा करने और जूनियर स्टाफ के साथ गलत व्यवहार करने के बारे में उन्होंने कई शिकायतें कीं।
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उसकी निजी ऑडी कार में लाल-नीली बत्ती थीं। इससे भी विभाग परेशान हो गया था। उन्होंने अपनी कार पर ‘महाराष्ट्र सरकार’ का बोर्ड भी लगाया था। उनकी बहुत सी अनुचित मांगें भी थीं, जिनमें घर, कर्मचारी, एक कॉन्स्टेबल और VIP नंबर प्लेट वाली एक कार शामिल है।
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इतना ही नहीं, खेड़कर ने एडिशनल कलेक्टर अजय मोरे की गैरमौजूदगी में उनके अगले कमरे पर भी अधिकार कर लिया था। उसने अपने नाम का बोर्ड भी कमरे के बाहर लगाया था। वे वहां मौजूद कुर्सी, सोफा और टेबल को भी हटा दिया, एडिशनल कलेक्टर की अनुमति के बिना। बाद में उन्होंने रेवेन्यु असिस्टेंट से अपने नाम का लैटरहेड, विजिटिंग कार्ड, पेपरवेट, नेम प्लेट, सील और इंटरकॉम भी मांग किया। इसी जेसी फ्री मे ओर खबरो को पढ़ने के लिए क्लिक करे ओर जॉइन करे