IAS officer Puja Khedkar; दोस्तों पूजा खेड़कर यह नाम पिछले कुछ दिनों से खूब चर्चा मे है जिसे देश का बचा बचा जानता है जी हा यह वही पूजा है जो एक आईएएस ट्रेनी है जिसने अपने डिपार्टमेंट को तंग करके न केवल अपने पद का दुरूपयोग किया है बल्कि अपनी नोकरी को भी खोने के कगार पर आ पहुची है यही पूजा जिस पर हाल की रिपोर्टों से पता चलता है कि ट्रेनी IAS officer Puja Khedkar ने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटा का उपयोग करके एमबीबीएस में प्रवेश किया है, जो क्लेयर नियुक्ति के नियमों के उल्लंघन और सत्ता के कथित दुरुपयोग को लेकर उठे विवाद में है।
मामले से परिचित लोगों ने यह स्पसट कहा कि खेडकर को ओबीसी खानाबदोश जनजाति-3 श्रेणी के तहत पुणे के काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की डिग्री मिली है।
रिपोर्ट के अनुसार, पूजा खेडकर के पिता ने OBC नॉन-क्रीमी लेयर श्रेणी में महाराष्ट्र में काम किया था। रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि खेडकर ने कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) का स्कोर नहीं लिया और निजी कॉलेज में प्रवेश लिया।
हालाँकि, काशीबाई नवले MBBS कॉलेज के निदेशक अरविंद भोरे ने बताया कि खेडकर ने 2007 में CET पास किया था। भोरे ने यह भी कहा कि विवादास्पद IAS officer Puja Khedkar ने मेडिकल फिटनेस प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें किसी भी विकलांगता का उल्लेख नहीं था।
“उसने CAST certificate , जाति वैधता और गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किया था…” भोरे ने बताया। उसने मेडिकल फिटनेस का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया था, जिसमें कोई विकलांगता नहीं बताई गई थी।”
खेडकर का नॉन क्रीमीलएर ओबीसी दर्जा और बेंचमार्क विकलांगता (PWD) प्रमाण पत्र जांच के दायरे में है क्योंकि उन्होंने पुणे में अपनी तैनाती के दौरान कथित तौर पर अलग केबिन और कर्मचारियों की मांग की थी और उनका अचानक वाशिम जिले में तबादला किया गया था।
बताया कि पूजा खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे से पीडब्ल्यूबीडी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि “यह संभव नहीं है”।”
उन्हें एक पत्र में बताया गया कि “…आपकी जांच 11 अक्टूबर 2022 को अधोहस्ताक्षरी/मेडिकल बोर्ड द्वारा की गई है और हमें यह बताते हुए खेद है कि…आपके पक्ष में विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करना संभव नहीं है।””
जबकि उनके पिता ने एक रिपोर्ट मे साफ कहा है , सेवानिवृत्त नौकरशाह दिलीप खेडकर, जिन्होंने लोकसभा चुनाव में 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी, ने बताया कि विकलांगता प्रमाण पत्र वैध था।
“विकलांगता कई तरह की होती है।” जिसमे उन्होंने कहा था की 40 प्रतिशत से अधिक पूजा दृष्टि दोष से पीड़ित है। यही कारण है कि वह विकलांगता के चालिस प्रतिशत मानदंडों को पूरा करती है।एक पैनल के चिकित्सा विशेषज्ञों ने प्रमाण पत्र जारी करने से पहले उसकी विकलांगता की पुष्टि की थी, उन्होंने कहा।”
खेडकर ने यह तक कहा कि उनकी बेटी को “एक निश्चित श्रेणी की मानसिक बीमारी है, जिसका विकलांगता प्रमाण पत्र जारी होने से पहले चिकित्सा पेशेवरों द्वारा सत्यापन भी किया गया है।”” अब बात यह नहीं समझ मे आती की अगर उनकी बेटी को किसी किस्म का मानसिक दोस था तो यूपीएससी ने उन्हे सलेक्ट केसे किया यह अभी तक सवाल ही बना है आप का इस मुद्दे पर क्या कहेना है कमेन्ट करके हमे बताए अधिक जानकारी के लिए पढे